Taimur Lang Badshah History In Hindi
Taimur Lang Badshah History In Hindi
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तैमूर लंग का संक्षिप्त परिचय
तैमूर लंग कौन था? तैमूर लंग की मौत कैसे हुई? तैमूर लंग को सात पीढ़ी का राज कैसे और किसने दिया? तैमूर लंग का इतिहास क्या है? इतिहास गवाह है इराक से भारत तक फ़ैल चुका था तैमूर लंग का शासन। उसने इराक, ईरान, तुर्किस्तान पर कब्ज़ा किया। खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि पर आक्रमण कर उन्हें आधीन किया। 1393 में उसने बगदाद को लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य स्थापित किया। इन विजयों से उत्साहित होकर अब उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। फिर भारत पर भी अपना शासन जमाया। दिल्ली के राजा ने उसकी पराधीनता (गुलामी) स्वीकार नहीं की तो उसे मार भगाया। यह कोई और नहीं तैमूर लंग था जो महान मंगोल विजेता चंगेज खाँ की तरह समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंद डालना चाहता था और सिकंदर की तरह विश्वविजय की कामना रखता था। Taimur Lang Badshah History In Hindi
भारत में प्रचलित मूर्तिपूजा का विध्वंस तो आक्रमण का बहाना मात्र था। तैमूर भारत के स्वर्ण से आकृष्ट था। भारत की महान समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ सुना था। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उस समय दिल्ली की तुगलक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण खराब अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का सुअवसर प्रदान दिया। भारत से लौटने के बाद तैमूर ने सन 1400 में अनातोलिया पर आक्रमण किया और 1402 में अंगोरा के युद्ध में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन 1405 में जब वह चीन पर विजय की योजना बनाने में लगा था, उसकी मृत्यु हो गई। Taimur Lang Badshah History In Hindi
1941 में रूस के जोसेफ स्टालिन ने तैमूर की कब्र को खोलने का आदेश दिया। सोवियत मानव विज्ञानी मिखाइल गैरिस्मोव ने 1941 में कब्र को खोला था और बताया था कि तैमूर की लंबाई करीब 6 फीट थी और वह दाएं पैर और दाएं हाथ से अपंग था। (25 साल की उम्र में गंवाए थे अंग)। (स्रोत – विकिपीडिया)
तैमूर लंग की परिवार बेल taimur lang badshah
चौदहवीं शताब्दी का क्रूर शासक तैमूर लंग जिसकी सात पीढ़ियों ने भारत पर राज्य किया तथा जिसने तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। बाबर तैमूरलंग का तीसरा पोता था। बाबर का पुत्र हुमायूं था। हुमायूं का अकबर, अकबर का जहांगीर, जहांगीर का शाहजहां, शाहजहां का पुत्र औरंगज़ेब हुआ। तैमूरलंग की पीढियों ने भारत पर राज्य किया। इतिहास गवाह है कि औरंगजेब के बाद इनका राज्य टुकड़ों में बँट गया। Taimur Lang Badshah History In Hindi
तैमूर लंग का जन्मस्थान व साम्राज्य taimur lang badshah
तैमूर लंग अर्थात तैमूर लंगड़ा जिसे ‘तिमूर’ नाम से जाना गया। तैमूर का जन्म 8 अप्रैल 1336 को उज़्बेकिस्तान में हुआ। उसका साम्राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के क्रूर, हत्यारे, लुटेरे, दंगाई, नीच व्यक्ति में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसके पिता तुरगाई बरलस तुर्कों के नेता थे। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर, तिमूर का ही वंशज था। तैमूर लंग के बारे में हम सब यह तो जानते हैं कि वह एक क्रूर शासक और यौद्धा था परंतु इस सच्चाई से रूबरू नहीं हैं कि तैमूर लंग किस संत के आशीर्वाद से राजा बना और उसकी एक रोटी खा कर संत ने उसे सात पीढ़ियों का राज क्यों दिया ? Taimur Lang Badshah History In Hindi
कबीर साहेब जी का तैमूर लंग को जिन्दा महात्मा के रूप में मिलना
पूर्व में तैमूर लंग को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जिन्दा महात्मा मिले जब वह राजा नहीं था। वह एक गरीब पाली, भेड़ बकरी चराने वाला था। इसका कारण है कि किसी जन्म में यह आत्मा, परमात्मा कबीर जी की शरण में आकर साधना किया करती थी। सुख होने पर काल तुरंत परमात्मा को भुलवा देता है। तैमूर लंग की आत्मा (को मानव शरीर मिलने से पहले ) ने अनेकों पशु-पक्षियों के जन्म भोगे। जब मानव जन्म हुआ। धर्म के अभाव में निर्धन घर में जन्मा। परमेश्वर कबीर जी एक जिंदा बाबा का वेश बनाकर पृथ्वी के ऊपर धार्मिकता देखना चाहते थे। वैसे तो परमात्मा कबीर जी अंतर्यामी हैं, फिर भी संसार भाव बरतते हैं। जिंदा बाबा के वेश में कई शहरों-गाँवों में गए, एक रोटी माँगते रहे। पहले अन्न का अभाव रहता था। बारिश पर खेती निर्भर थी। जिस कारण से अधिकतर व्यक्तियों का निर्वाह कठिनता से चलता था। जब परमात्मा चलते-चलते उस नगर में आए जिसमें तैमूर लंग मुसलमान लुहार अपनी माता के साथ रहता था। तैमूर लंग और उसकी मां धार्मिक प्रवृत्ति के थे। तैमूर के पिता की मृत्यु हो चुकी थी। तैमूर अठारह वर्ष की आयु का था। निर्धनता बहुत ज़्यादा थी। कभी भोजन खाने को मिलता तो कभी एक समय का भोजन ही नसीब हो पाता था। तैमूरलंग की माता जी बहुत धार्मिक स्त्री थी। कोई भी यात्री, साधु या सामान्य व्यक्ति द्वार पर आता था तो उसे खाने के लिए अवश्य आग्रह करती थी। स्वयं भूखी रह जाती थी, रास्ते चलते व्यक्ति को अवश्य भोजन करवाती थी। जिस दिन परमात्मा जिंदा रूप में परीक्षा के उद्देश्य से आए, उस दिन केवल एक रोटी का आटा बचा था। तैमूर लंग को भोजन खिला दिया था। स्वयं भी खा लिया था। शाम के लिए केवल एक रोटी का आटा शेष था। तैमूर लंग अमीर व्यक्तियों की भेड़-बकरियों को चराने के लिए जंगल में प्रतिदिन ले जाया करता। वह किराये का पाली था। धनी लोग उसे अन्न देते थे। निर्धनता के कारण तैमूर लंग एक लौहार के अहरण पर शाम को बकरी-भेड़ गाँव लाने के बाद घण की चोट लगाने की ध्याड़ी करता था। उससे भी उसको अन्न मिलता था। जिस दिन परमात्मा तैमूर लंग को जंगल में मिले। उस दिन भी तैमूर लंग प्रतिदिन की तरह भेड़-बकरियाँ चराने जंगल में गाँव के साथ ही गया हुआ था। जब परमात्मा तैमूर लंग को मिले तथा रोटी माँगी तो तैमूर लंग खाना खा चुका था। तैमूर लंग ने कहा कि महाराज! आप बैठो। मेरी भेड़-बकरियों का ध्यान रखना, कहीं कोई गुम न हो जाए। मैं निर्धन हूँ। भाड़े पर बकरियों तथा भेड़ों को चराता हूँ। मैं घर से रोटी लाता हूँ। यहाँ पास में ही हमारा घर है। परमात्मा ने कहा ठीक है, संभाल रखूँगा। तैमूर लंग घर गया। माता को बताया कि एक बाबा कई दिन से भूखा है। रोटी माँग रहा है। माता ने तुरंत आटा तैयार किया। एक रोटी बनाई क्योंकि आटा ही एक रोटी का बचा था। एक रोटी कपड़े में लपेटकर जल का लोटा साथ लेकर बाबा जी के पास दोनों माँ-बेटा आए। रोटी देकर जल का लोटा साथ रख लिया। माता तथा बेटे ने बाबा जी की स्तुति की तथा माता ने कहा, महाराज! हम बहुत निर्धन हैं। दया करो, कुछ रोटी का साधन बन जाए। बाबा ने रोटी खाई। तब तक माई ने आँखों में आँसू भरकर कई बार निवेदन किया कि मेहर करियो दाता। बाबा जिंदा ने रोटी खाकर जल पीया। Taimur Lang Badshah History In Hindi
कबीर परमेश्वर ने तैमूर लंग को सात पीढ़ी का राज दिया
कबीर साहेब जी ज़िंदा बाबा के रूप में आकर तैमूर लंग और उसकी मां से मिले। रोटी खाकर कबीर साहेब जी ने बकरी बाँधने की सांकल (बेल) लेकर उसको तैमूर लंग की कमर में सात बार मारा। वह चीढ़ की सण की बेल थी। चीढ़ को कामण भी कहते हैं। कामण की छाल का रस्सा बहुत मजबूत होता है। फिर लात मारी तथा मुक्के मारे। माता को लगा कि मैंने बाबा को बार-बार बोल दिया जिससे चिढ़कर बाबा ने लड़का पीट दिया। माई ने पूछा कि बाबा जी! बच्चे ने क्या गलती कर दी। माफ करो, बच्चा है। परमात्मा बोले कि माई! इस एक रोटी का फल, तेरे पुत्र को सात पीढ़ी के राज्य के वरदान के रूप में दिया है जो सात बार बेल (सांकल) मारी है। जो लात तथा मुक्के मारे हैं, यह बताता है कि इसका राज्य 7 पीढ़ियों के बाद टुकड़ों में बँट जाएगा। माई को लगा कि बाबा पागल है। रोटी शाम की है नहीं, कह रहा है कि तेरा बेटा राज करेगा। माई विचार कर ही रही थी कि बाबा जिंदा अंतर्ध्यान हो गया। Taimur Lang Badshah History In Hindi
तैमूर लंग ने बचाई थी लड़कियों की इज़्ज़त taimur lang badshah
कुछ दिन के पश्चात् गाँव की एक जवान लड़की को राजा के सिपाही उठाने की कोशिश कर रहे थे। वे राजा के लिए उसे विलास करने के लिए ले जाना चाहते थे। तैमूर लंग दौड़ा-दौड़ा गया। सिपाहियों को लाठी से पीटने लगा। कहने लगा कि हमारी बहन हमारी इज्ज़त है। दुष्ट लोगों! चले जाओ। परंतु वे चार-पाँच थे। घोड़े साथ थे। उन्होंने तैमूर लंग को बहुत पीटा। मृत समझकर छोड़ दिया और लड़की को उठा ले गए। तैमूर लंग होश में आया। गाँव में चर्चा चली कि तैमूर लंग ने बहादुरी का काम गाँव की इज्ज़त बचाने के लिए किया। अपनी जान के साथ खेलकर गाँव की इज्ज़त बचानी चाही। वह गाँव के प्रत्येक व्यक्ति की हमदर्दी का पात्र बन गया।
स्वपन में तैमूर लग को दर्शन देकर ज़िंदा बाबा ने भविष्य के लिए किया इशारा
एक रात्रि को स्वपन में बाबा जिंदा तैमूर लंग को दिखाई दिए और बोले कि जिस लुहार के अहरण पर तू शाम को नौकरी करता है, उसके नीचे खज़ाना है। तू उस स्थान को मोल ले ले। मैं उस लुहार के मन में वह स्थान बेचने की प्रेरणा कर दूँगा। दो महीने की उधार कह देना। तैमूरलंग ने अपना सपना अपनी माता जी को बताया। जो-जो बात परमात्मा से हुई थी, माता जी को बताई। माता जी ने कहा, बेटा! बाबा जी मुझे भी आज रात्रि में स्वपन में दिखाई दिए थे। कुछ कह रहे थे, मुझे स्पष्ट नहीं सुनाई दिया। माता ने कहा कि बाबा जी की बात सच्ची है तो बेटा धन्य हो जाऐंगे। तू जा, अहरण वाले से बात कर। अहरण वाले के मन में कई दिन से प्रबल प्रेरणा हो रही थी कि यह स्थान कम पड़ गया है। मेरी दूसरी जगह जमीन बड़ी है। इसे कोई उधार भी ले ले तो दे दूँगा। Taimur Lang Badshah History In Hindi
मैं अपने बड़े प्लाट में अहरण लगा लूँगा। तैमूरलंग अहरण वाले मालिक के पास गया और वर्तमान अहरण वाली जगह को उधार लेने की प्रार्थना की। अहरण वाला बोला कि बात पक्की करना। जो समय रूपये देने का रखा जाएगा, उस समय रूपये देने होंगे। तैमूरलंग ने कहा कि दो-तीन महीने में रूपये दे दूँगा। अहरण वाला तो एक वर्ष तक उधार पर देने को तैयार था। बात पक्की हो गई। तीसरे दिन अहरण वाली जगह खाली कर दी गई। तैमूर लंग ने अपनी माता जी के सहयोग से उस जगह मिट्टी के डलों की चारदीवारी बनाई। वहाँ पर झोंपड़ी डाल ली। रात्रि में खुदाई की तो खजाना मिला। अहरण वाला पुराना अहरण भी उसे दे गया था। उसके कुछ रूपये ले लिए। स्वयं नया अहरण ले आया। Taimur Lang Badshah History In Hindi
परमात्मा कबीर साहेब जी स्वपन में फिर तैमूर लंग को दिखाई दिए
तैमूर से कहा कि बेटा! ख़ज़ाने से थोड़ा-थोड़ा धन निकालना। उससे एक-दो घोड़ा लेना। उन्हें मंहगे-सस्ते, लाभ-हानि में जैसे भी बिके, बेच देना। फिर कई घोड़े लाना, उन्हें बेच आना। जनता समझेगी कि तैमूर लंग का व्यापार अच्छा चल गया।
तैमूर लंग पाली से रक्षक और फिर राजा बना
तैमूर लंग ने वैसे ही किया जैसा परमात्मा ने निर्देश दिए थे। छः महीने में अलग से ज़मीन मोल ले ली। पहले भेड़-बकरियाँ खरीदी, बेची। फिर सैंकड़ों घोड़े वहाँ बाँध लिए। उन्हें बेचने ले जाता और ले आता। गाँव के नौजवान लड़के नौकर रख लिए। बड़ा मकान बना लिया। परंतु तैमूरलंग को वह घटना रह-रहकर कचोट रही थी कि यदि मैं राजा बन गया तो सर्वप्रथम उस अपराधी बेशर्म राजा को मारूँगा जिसने मेरे गाँव की इज्ज़त लूटी थी। जवान लड़की को उसके सैनिक बलपूर्वक उठाकर ले गए थे। अब तैमूरलंग के पास धन था। जंगल में ‘वर्कशॉप’ बनाई। लुहार कारीगर था, स्वयं तलवार बनाने लगा। गाँव के नौजवान व्यक्तियों को अपना उद्देश्य बताया कि उस राजा को सबक सिखाना है जिसने अपने गाँव की बेटी की इज्ज़त लूटी है। मैं सेना तैयार करूँगा। जो सेना में भर्ती होना चाहे, उसे एक रूपया तनख्वाह दूँगा। उस समय एक रूपया, चाँदी का बहुत होता था। जवान लड़के सैंकड़ों तैयार हो गए। वे अपने रिश्तेदारों को ले आए। इस प्रकार बड़ी सेना तैयार की। लुहार कारीगर तनख्वाह पर रखे। तलवार-ढ़ाल तैयार करके उस राजा पर धावा बोल दिया। उसे अपने आधीन कर लिया। उसका राज्य छीन लिया। उसको मारा नहीं, अलग गाँव में भेज दिया। उसके निर्वाह के लिए महीना देने लगा। धीरे-धीरे तैमूर लंग ने इराक, ईरान, तुर्किस्तान पर कब्ज़ा कर लिया। फिर भारत पर भी अपना शासन जमा लिया। दिल्ली के राजा ने उसकी पराधीनता (गुलामी) स्वीकार नहीं की, उसे मार भगाया। उसके स्थान पर बरेली के नवाब को दिल्ली का वायसराय बना दिया जो तैमूरलंग का गुलाम रहा। उसे प्रति छः महीने फसल कटने पर कर देकर आता था। Taimur Lang Badshah History In Hindi
तैमूर लंग की मृत्यु के पश्चात् दिल्ली के वायसराय ने कर देना बंद कर दिया। स्वयं स्वतंत्र शासक बन गया। तैमूर लंग का पुत्र दिल्ली का राज्य लेना चाहता था तो उसे नहीं दिया। बाबर तैमूरलंग का तीसरा पोता था। उसने बार-बार युद्ध करके भारत का राज्य प्राप्त कर लिया। बाबर का पुत्र हुमायूं था। हुमायूं का अकबर, अकबर का जहांगीर, जहांगीर का शाहजहां, शाहजहां का पुत्र औरंगज़ेब हुआ। सात पीढ़ियों ने भारत पर राज्य किया। इतिहास गवाह है कि फिर औरंगज़ेब के बाद राज्य टुकड़ों में बँट गया। Taimur Lang Badshah History In Hindi
गरीबदास जी ने कहा है कि :-
रोटी तैमूर लंग कूं दिन्ही, तातें सात पादशाही लिन्हीं।।
तैमूर लंग को परमात्मा कबीर साहेब जी ने फिर चेताया
तैमूर लंग को परमात्मा उसी जिंदा वाले वेश में फिर मिले जब वह शिकार करने गया था, राजा था। तब उसको समझाया कि भक्ति कर राजा, नहीं तो (दोजख) नरक में गिरेगा। भूल गया वो दिन जब एक रोटी ही घर पर थी। उस समय तैमूर लंग बाबा जिन्दा के चरणों में गिर गया। दीक्षा ली। राज्य पुत्र को दे दिया। दस वर्ष और जीवित रहा। वह आत्मा जन्म-मरण में है। परंतु भक्ति का बीज पड़ गया है। यदि उस निर्धनता में भक्ति करने को कहता तो नहीं मानना था। परमात्मा कबीर जी ही जानते हैं कि काल की जकड़ से कैसे जीव को निकाला जा सकता है। धर्म (मजहब) कोई भी है, जो उसके प्रवर्तक होते हैं, वे साफ-सुथरे (स्वच्छ) व्यवहार के होते हैं। धर्म-कर्म करने वाले, परमात्मा से डरने वाले होते हैं। बाद में केवल दिखावा रह जाता है। इसको ध्यान देकर देखा जा सकता है। यही होता है। सतगुरू फिर से धर्म को सुधारता है। सत्य साधना पर लगाता है। Taimur Lang Badshah History In Hindi
तैमूर लंग राजा तो बन गया था। गरीब भी नहीं रहा। परंतु राजा बनते ही धर्म और इंसानियत भूल गया था। पृथ्वी का क्रूर शासक कहलाया। परंतु परमात्मा ने उसका हाथ कभी नहीं छोड़ा। जब तक उसके पुण्य और धर्म की कमाई चली तब तक वह निरंकुश राजा बना रहा। परमात्मा ने अपनी आत्मा देखनी है कि उसे कैसे सही मार्ग पर लाना है। कबीर परमेश्वर प्रत्येक आत्मा के रक्षक हैं । जैसे उन्होंने तैमूर लंग को बाबा जिंदा रूप में आकर दर्शन दिए और मार्ग दर्शन किया उसी तरह आज भी अपनी भटकी आत्माओं को सतमार्ग दिखाने के लिए संत रामपाल जी महाराज रूप में आए हुए हैं। तैमूर लंग जैसा राजा बनने से अच्छा है सतभक्ति करके जन्म मृत्यु के रोग से पीछा छुड़ाना। Taimur Lang Badshah History In Hindi
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