Hindu

हनुमान जी की कथा

हनुमान जी की कथा यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥ प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक

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