Bhagvan Ka Sanvidhan । Aadi Sanatan Dharm Ke Niyam
Bhagwan Ka Sanvidhan
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🛐 भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
यह दम टूटै पिण्डा फूटै,
यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।। bhagvan ka sanvidhan
🛐 शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, कुरड़ियों पर पेट भरने के लिए जाएगा। बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
नर सेे फिर पशुवा कीजै,
नर सेे फिर पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
🛐 तम्बाकू सेवन करना महापाप है | तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।
यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। तमाखू का सेवन करने से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🛐 बेटी देवी का स्वरूप है। बेटी को गर्भ में मार दिया जाता है जो महापाप है। bhagvan ka sanvidhan
🛐 परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
जती-सती का जोड़ा,
जती-सती का जोड़ा, कभी नहीं दुख का फोड़ा
पुरूष यति (जति) सो जानिये, निज त्रिया तक विचार।
माता बहन पुत्री और जग की नार।।
🛐 कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह सत्तर जन्म तक कुत्ता बनता है। गंदी नालियों का पानी पीता है व गंद खाता है।
मदिरा पीवै कड़वा पानी।
मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
🛐 शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों के सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं।
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
🛐 नशा करता है नाश। नशीली चीजों का सेवन तो दूर रहा किसी को नशीली वस्तु लाकर भी नहीं देनी चाहिए।
गरीब, भांग तम्बाखू पीव हीं, सुरा पान सैं हेत। गौस्त मट्टी खाय कर, जंगली बनें प्रेत।।
🛐 परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
पुरूष यति (जति) सो जानिये, निज त्रिया तक विचार।
माता बहन पुत्री सकल और जग की नार।।
🛐 जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओच्छी ठौर न खोए।।
🛐 मनुष्य को धर्म जाति में विभाजित होकर झगड़े नहीं करना चाहिए।
जात-पात सब झूठ है
जात-पात सब झूठ है, भरम पड़ो मत कोई।
जाति नहीं जगदीश की, औरन की क्या होई।।
🛐 जब तक सच्चा गुरु न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना। सतगुरु बिना मोक्ष असंभव है।
“जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार”
🛐 गुरु द्रोही के पास जाने वाला भक्ति रहित होकर नरक व लख चौरासी जूनियों में चला जाएगा।
गरीब, गुरु द्रोही की पैड़ पर, जे पग आवै बीर।
चौरासी निश्चय पड़ै, सतगुरु कहैं कबीर।।
🛐 विवाह में दहेज के लेनदेन नहीं करना चाहिए
दहेज दुश्मन शांति का, करै नाते में दरार।
कन्यादान से बड़ा दहेज नहीं, अठरा वर्ष का प्यार।।
जिनको तत्वज्ञान नहीं, वो माँगत है भठियारे,
कन्या के बदले जो धन(दहेज) लेत है, नरक गामी सारे।
🛐जो न्यायाधीश बेगुनाह को सजा करता है, अन्याय करता है तो उसे घोर कष्ट मिलता है तथा नर्क व चौरासी में
जाता है। bhagvan ka sanvidhan
🛐 परमात्मा सतभक्ति करने वालों के घोर अपराध भी क्षमा कर देता है। बिना गुरु के मोक्ष संभव नहीं है।
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धर्यो, भयो पाप को नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराणे घास।।
🛐 देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं।
कबीर परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति होवे।
गरीब, भूत रमै सो भूत है, देव रमै सो देव। राम रमै सो राम है, सुनो सकल सुर भेव।।‘‘
🛐 पराई स्त्री से दुराचार करने वाले को 70 जन्म अंधे की योनियों में भोगने पड़ते हैं। पर-स्त्री को ताकने वाले लोग काफ़िर हैं।
पर द्वारा स्त्री का खोलै, सतर जन्म अंधा होवै डोलै।
🛐 जीव हत्या महापाप है। मांस खाने वाला महानरक का भागी बनता है।
कबीर, जीव हनै हिंसा करैए प्रगट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप तें भिस्त गया नहिं कोय।।
🛐 भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से कमाया गया पैसा स्वयं का तथा परिवार का नाश कर देता है।
🛐 किसी को गाली या अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
कबीर, आवत गाली एक है, उलटत होय अनेक ।
कहै कबीर नहिं उलटिये, रहै एक की एक ।।
🛐 अश्लील फिल्में देखना ,नाटक देखना, जुआ खेलना, ताश खेलना मना है। इससे मनुष्य जीवन का अनमोल समय नष्ट होता है जो मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है।
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
🛐 छुआछूत, ऊंच-नीच व जात-पात का भेदभाव रखने वाले परमात्मा के दोषी हैं क्योंकि सभी जीव परमात्मा के बच्चे हैं।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा ।।
🛐 जो व्यक्ति परमात्मा के भक्त को सताते हैं, वह परमात्मा को दुखी करते हैं। जीव परमात्मा का अंश है तो अपने अंश के सुख-दुःख का परमात्मा को भी अहसास होता है।
कबीर कह मेरे जीव को दुःख ना दिजो कोय, भक्त दुःखाऐ मैं दुःखी मेरा आपा भी दुःखी होय।
🛐 ब्याज नहीं लेना चाहिए। जो व्यक्ति ब्याज की राशि खाते हैं उन्हें अगले जन्म में बैल की योनि प्राप्त होती है।
🛐 जो संत शास्त्रविरूद्ध साधना करवा कर अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है, उसको भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।
🛐 बच्चे को 3 वर्ष की आयु में पूर्ण संत से उपदेश दिला कर भक्ति करवानी चाहिए। bhagvan ka sanvidhan
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