Adhyatmik Gyan Prashnotari In Hindi
Adhyatmik Gyan Prashnotari
ऐसे प्रश्न और उत्तर जिनको पढ़ते हुए भी आनंद आता हो और हमारे जीवन में इतने उपयोगी हो तो इनको एक बार जरूर जानना चाहिए कुछ अध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी को मै यहां लिख रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि यह आपके कुछ शंकाओं का समाधान जरूर करेगी। तो आइए पढ़ते हैं इन प्रश्न उत्तर को।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
ईश्वर क्या है? = माया उपाधि चेतन।
ब्रह्म क्याहै? = अविद्या उपाधि रहित चेतन।
ब्रह्म का स्वरूप क्या है? = सच्चिदानंद स्वरूप।
जीव क्या है? = अविद्या उपाधि चेतन।
अविद्या किसे कहते हैं ?= विपरीत जानने को अविद्या कहते हैं। adhyatmik gyan prashnotari
अविद्या का कोई उदाहरण दीजिए ?= जड़ को चेतन मानना, ईश्वर को न मानना, अन्धेरे में रस्सी को सांप समझ लेना। ये अविद्या के उदाहरण हैं। Adhyatmik Gyan Prashnotari
शरीर कितने प्रकार के होते हैं ? = शरीर तीन प्रकार के होते हैं – १) स्थूल शरीर, २) सूक्ष्म शरीर, ३) कारण शरीर।
स्थूल शरीर किन तत्वों से बनता है ? = स्थूल शरीर पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बनता है।
सूक्ष्म शरीर किसे कहते हैं ? = मन, बुद्धि, सूक्ष्म इन्द्रिय इत्यादि १८ पदार्थों को सूक्ष्म शरीर कहते हैं।
विद्या प्राप्ति के चार उपाय कौन से हैं ?= श्रवण, मनन, निदिध्यासन और साक्षात्कार विद्या प्राप्ति के ४ उपाय हैं।
इन चार उपायों को समझाइए ? = श्रवण- ध्यान से सुनना, मनन- सुने हुए पर एकांत में विचार करना, निदिध्यासन- विवेचन करना, साक्षात्कार- सही ज्ञान को प्राप्त कर लेना। adhyatmik gyan prashnotari
प्रकृति क्या है? = अनादि कारण।
जीव का स्वरूप क्या है? = अस्ति भांति प्रज्ञा।
आकाश का आहार क्या है? = शब्द_कुशब्द।
वायु का आहार क्या है? = गंध सुगंध।
अग्नि का आहार क्या है ? = लोभ मोह।
जल का आहार क्या है? = मैंथुन कर्म।
पृथ्वी का आकार क्या है? = खाना पीना।
माया किसको कहते हैं? = होना और मिटना।
अविद्या किसको कहते हैं? = अज्ञान को।
प्रकृति का फल क्या है? = अधिक तृष्णा।
आकाश की हद कहा? = अनहद में।
ज्ञान कमल कहां है? = नाभि कमल।
जड़ता के लक्षण क्या? = अज्ञान।
प्रेम का लक्षण क्या? = एकता भाव।
प्रेम का विषय क्या? = शुद्ध आत्मा।
सत्य का लक्षण क्या? = एक रस।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
आनंद का अधिकारी कौन? = दृढ़ विश्वास।
उत्तम सेवा क्या? = आज्ञा पालन।
संतों के लक्षण क्या? = शील व्रती।
सज्जनों का बर्ताव? = प्रेम पूर्वक।
गुरु का कर्तव्य क्या? = बौद्ध प्रधान।
मुक्ति का अधिकारी? = संशय रहित।
परमहंस कौन? = उत्तम ज्ञानी।
सदा कृतार्थ कौन? = जीवन मुक्त।
सम दृष्टि कौन? = ब्रह्म ज्ञानी।
निर्विकल्पना क्या? = अभेद दृष्टि।
भूल जाना क्या किया? = किया हुआ सुकृत।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
सबका प्रेरक कौन? = पूर्व जन्म के कर्म।
कहने योग्य क्या नहीं? = निज प्रशंसा।
मनुष्य कैसे सुधरे? = विचार द्वारा।
अति पातकी कौन? = मित्र द्रोही।
दीन दुखी कैसे? = व्यर्थ खर्च में।
तप क्षणता का हेतु? = दंभ व क्रोध।
काम कैसे जीते? = बैराग से।
क्या जानना कठिन है? = होतव्यता।
दूर किससे रहना? = व्यभिचारी से।
दुख कौन पाता है? = अत्याचारी।
ईश्वर कृपा क्या है? = अच्छा विचार।
सदा क्या देखें? = अपने दोष।
निद्रा कितनी श्रेष्ठ? = 6 घंटे।
मोक्ष के साधन क्या?= यथार्थ ज्ञान।
शिष्य उत्तम कौन? = गुरु का सेवक।
तीन गुणों से मुक्त कौन? = ब्रह्मदर्शी।
विप्र के आचार क्या? = अति सात्विक।
क्षत्रिय का कर्तव्य क्या? = जनता की रक्षा।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
वैश्य का कर्तव्य क्या? = जन सत्कार।
शुद्र का कर्म क्या? = जनसेवा।
धर्म में पतित कौन? = दुराचारी।
धर्म में प्रतिबंधन कौन? = गुणों का गर्व।
अवनति का मूल? = दूर व्यसन।
बुरे व्यसन क्या? = मद पीना जुआ खेलना।
मृत्यु के तुल्य कौन? = अपयश।
पक्षपात का हेतु? = अज्ञानता।
साधनों में त्रुटि क्या? = अशुभ भाव।
मन की मालीनता क्या? = भोग इच्छा।
आपत्तियों का हेतु क्या? = बुरे विचार।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
सदा क्या करना? = निज विचार।
श्रेष्ठ कर्तव्य क्या? = परोपकार।
जीते मृतक कौन? = आलसी पुरुष।
प्रारब्ध से प्राप्त क्या ? = सुख-दुख आदि।
अधम मनुष्य कौन? = अत्याचारी।
पशु तुल्य कौन? = गुणों से हीन।
दोषों का कारण? = पर द्रोह।
अति बहरा कौन? = हित ना सुने।
उग्र पापों का हेतु? = ईर्ष्या ट्रष्णा।
निकृष्ट जन कौन? = अभिमानी।
सुधार कैसे हो? = सद प्रयत्न से।
शाम सुबह क्या करें? = ध्यान विचार।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
आनंदित कौन है? = सर्व हितेषी।
मन की शुद्धि कैसे? = सद्भाव से।
कीर्ति कैसे फैले? = उदार बनने से।
साधन का कारण? = अधिक राग।
वाणी पवित्र कैसे? = सत्य भाषण से।
विद्या निष्फल कैसे? = बिना धारणा से।
देवता से बड़ा कौन? = पुरुषार्थ देव।
अग्नि सम कौन? = क्रोध द्वेष।
राज नष्ट कैसे? =अन्याय से।
उग्र पातकी कौन? = आत्मघाती।
सुखदाई क्या? = दूर वासना।
चक्षु अंधा कौन? = काम पीड़ित।
भक्ति में बाधक कौन? =विषय शक्ति।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
सज्जनता कैसे? = शुभ गुणों से।
उत्तम संग किसका?= संत जनों का।
पुरुषार्थ का दोष? = मुक्ति का पतन।
दान का पात्र कौन? = दीन हितेषी।
महान तीर्थ क्या? = आत्मा की शुद्धि।
उत्तम ध्यान क्या? = सतनाम का चिंतन।
अत्यंत दोषी कौन? = हिंसक प्राणी।
त्याग किसका करें? = परनिंदा का।
सूरमा कैसे बने? = मन को जीते।
संग्रह क्या करें? = उत्तम गुण।
मोह का नाश कैसे? = सत ज्ञान से।
बुद्धि निर्मल कैसे हो? = सत्संग से।
भक्ति का अधिकारी कौन? = निष्काम जन।
सदैव सुखी कौन? = संतोषी जन।
कठिन जीतना क्या? = मन की व्रतियों को।
मनुष्य का स्वभाव क्या? = रजोगुण प्रकृति।
पशु सम कौन? = तामसी जन।
अति भोजन का फल? = रोग आलस्य।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
साधुओं की वृत्ति? = तीव्र बैराग।
मोहिनी मंत्र क्या? = प्रिय भाषण।
उन्नति का कारण क्या? = श्रेष्ठ विचार।
सदा जागृत कौन? = विवेकी पुरुष।
भरोसा किसका करें? = परमात्मा का।
याद क्या रखें? = अपनी मृत्यु।
योग्यता कैसे हो? = ऊंचे भावों से।
वैराग कैसे बढे? = विवेक से।
नाम का नाम क्या? = रूप।
ध्यान किसे कहें? = सर्व काम से मन को रोके।
कर्म का रूप क्या? = वासना।
कान बड़ा किसका? = मोर का।
आंख बड़ी किसकी? = गिद्ध की।
नाक बड़ी किसकी? = चींटी की।
दांत बड़ा किसका? = आरे का, करोत।
Adhyatmik Gyan Prashnotari
अनुकूल क्या? = सुख के साधन।
प्रतिकूल क्या? = दुख के साधन ।
आकांक्षा क्या? = इच्छा।
परम धर्म क्या? अहिंसा।
आकाश का फेर? = सुरता।
धरती का तोल? = धर्म।
पारस का मोल? = गुण।
साधु की जात? = खामियां।
जगावें क्या? = प्रेम।
कीजिए क्या? = पूजा हरि की।
परखिए क्या? = शब्द।
लीजिए क्या? = हरी नाम।
करिए क्या? = सत्संग।
बोलिए क्या? = मीठा वचन।
होइए क्या? = दास।
मानिए क्या? = सत्य।
मेटिये क्या? = झगड़ा।
खाइए क्या? = गम।
छोड़िए क्या? = अभिमान।
परमाणु क्या? = छोटे टुकड़े।
सृष्टि की उत्पत्ति कब? = 2000000000 वर्ष।
प्रकृति क्या? = सत रज तम।
विराट किसको कहे? = विष्णु भगवान को।
हिरण्यगर्भ किसको कहे? = ब्रह्मा को।
अव्याकृत किसे कहें? = शिवजी को।
अनहद सो क्या है? = श्रवण बंद करने के बाद सुने।
निश्वास? = श्वास लेना भरना।
प्रस्वास क्या? = निकालना।
माया के गुण क्या? = सद्गुण।
देखिए क्या? = आत्माराम।
राखिए क्या? = निज धर्म।
न राखिए क्या? = निज स्वरूप।
मिटाइए क्या? = भ्रम।
पाइए क्या? = सुख।
सुनिए क्या? = हरि गुण।
खुशबू क्या? = यस।
दुर्गंध क्या? =अपयश।
दीजिए क्या? = दान।
धरिये क्या? = धीरज।
विचारिये क्या? = निज तत्व।
मैं आशा करता हूं दोस्तों की मेरे यह छोटे छोटे किंतु बड़े ही रहस्यमई प्रश्न उत्तर आपको पसंद आए होंगे ऐसे ही और बहुत कुछ जानने के लिए जैसे कवि गंग के दोहे गिरधर कविराय की कुंडलियां रसखान के सवैया गोकुल गांव को पेंडौ ही नयारो आदि आदि जानने के लिए आप हमारी साइट विजिट कर सकते हैं धन्यवाद आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा adhyatmik gyan prashnotari आध्यात्मिक ज्ञान
Very nice
Pingback: Dharm Kya Hai In Hindi Shloka Sahit Varnan - bhaktigyans
Pingback: Adhyatmik Gyan Prashnotari In Hindi - bhaktigyans
Pingback: Atma Bodha In Hindi Jiv Ishwer Nirupan - bhaktigyans
जय सदगुरुदेव नमः
Pingback: Who Created The Universe