भगवान को कैसे प्रसन्न करे || श्रीमद्भागवत गीता अनुसार
भगवान को कैसे प्रसन्न करे
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प्रस्तावना
नमस्कार भक्त आत्माओं भगवान को कैसे प्रसन्न करें इस विषय में मैं आपके सामने कुछ संक्षिप्त ज्ञानवर्धक तथ्य रख रहा हूं जो कि आपके लिए उपयोगी साबित होंगे ऐसी मुझे आशा है। कृपया आपसे एक करबद्ध प्रार्थना यह भी है कि इस विषय को पढ़ते समय कृपया धैर्य जरूर रखें। क्योंकि सच्चाई कड़वी होती है ऐसा बुजुर्गों ने कहा है। एक बार इस पर मंथन जरूर करना क्या यह सही है या गलत तो आइए शुरू करते हैं। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
भगवान को प्रसन्न करने के लिए लोग क्या क्या करते हैं
कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास को समझाया कि हे धर्मदास! अब ऐसा ज्ञान सुनाता हूँ जिसको सुनकर कहीं भी भटकना नहीं पड़ेगा। ध्यानपूर्वक दिल लगाकर सुन। जो सर्दी के मौसम में जलधारा (झरने) के नीचे बैठकर सिर के ऊपर शीतल जल बरसाते हैं तथा गर्मी के मौसम में पाँच धूंने अग्नि के लगाकर उनके मध्य में बैठकर तप करते हैं। जो श्वांस को रोकते हैं। जो दिन-रात धूनि (अग्नि) जलाकर रखते हैं। चिलम में तम्बाकू पीते हैं, उसमें करोड़ों जीव मर जाते हैं। जो तीर्थ यात्रा करते हैं, वे जन्म-जन्म यानि असँख्यों जन्म काल जाल में उलझकर रह जाते हैं। जो तीर्थ पर जाकर दान करते हो। पहले उस तीर्थ में स्नान करते हो। उसमें करोड़ों जीवों की हिंसा का पाप लग जाता है। पुण्य एक, पाप अनेक लगे। दुनिया वाले प्रभी लेने सैंकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर जाते हैं। हमारा ज्ञान किसी ने नहीं सुना कि इससे पाप मिलते हैं, पुण्य नहीं मिलता। तीर्थ के जल में जितने गोते (डुबकी) लगाते हैं, प्रत्येक में जीव हिंसा होती है। पाती तोड़कर पत्थर की मूर्ति पर चढ़ाते हैं, वे ज्ञान नेत्रहीन (अंधे) हैं। उनके फंदे यानि काल का जाल कभी नहीं छूट सकता। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
तीर्थों के नाम व महिमा
जो साधक लोहागिर, पुष्कर पर जाकर स्नान करते हैं। उनको महापाप लगता है। काशी, गया, प्रयाग, द्वारका, हर की पैड़ी हरिद्वार में जाने व तीर्थ में स्नान-दान करने से मोक्ष बताते हैं। उन गुरूओं की गर्दन पर जूते मारने चाहिए। जो जीवों को (आचार-विचार) कर्मकांड में भ्रमित करते हैं। शास्त्रविधि विरूद्ध साधना का ज्ञान देते हैं। जो पिहोवा (हरियाणा) में पिंड भरवाने की कहते हैं, बद्रीनाथ पर जाने की कहते हैं। (सरजू) सूर्य नदी में स्नान से मोक्ष बताते हैं। यह साधना व्यर्थ है। पिंडदान करने से भूत की योनि छूट जाती है, मोक्ष नहीं मिलता। भूत की जूनि छूटकर गधे की मिल गई तो क्या लाभ हुआ पिंडदान करने का? जगन्नाथ के दर्शन करने जाते हैं। एक भवन (महल) में काली मूर्ति रखी है उस जगन्नाथ की। जो जगन्नाथ सर्वव्यापक है, उसको कोई नहीं खोजता। वह किसी को गलत भक्ति से नहीं मिलता। गोदावरी नदी तथा गोमती नदी में स्नान करते हैं। कहते हैं कि हम अड़सठ तीर्थों का फल प्राप्त करेंगे यानि अड़सठ तीर्थ स्नान करके मोक्ष प्राप्त करेंगे। यह गलत धारणा है। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
अड़सठ तीरथ सच्चे गुरू के चरणों में
जिन्होंने पूर्ण संत की (पूजा) सेवा नहीं की तो उसके सब स्नान व्यर्थ हैं। करोड़ अश्वमेघ यज्ञ करो, संत के चरण की रज (धूल) के समान भी नहीं है। करोड़ गऊ दान दो, कोई लाभ नहीं। एक पल संतों के साथ ज्ञान चर्चा रूपी प्रभी लेने से जीवन बदल जाता है। जिनके मेहमान संत नहीं हुए यानि जिन्होंने पूरे संत का सत्संग नहीं सुना, उनको यथार्थ भक्ति (पद) पद्धति का ज्ञान नहीं हो सकता। उसके बिना मोक्ष नहीं होगा। जो तीर्थ तथा व्रत करते हैं, उनकी चारों खानि यानि चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीर में जाना नहीं बचेगा। चौदस, नौमी, द्वादशी आदि किसी भी व्रत से जम का दूत नहीं डरता। जो एकादशी का व्रत करते हो। करवा चौथ की कहानी कहती हैं, व्रत रखती हैं, वे गधी की योनि प्राप्त करती हैं। जो करवाचौथ का व्रत रखने वाली को कहानी सुनाती हैं, दोनों गधी का जीवन प्राप्त करेंगी। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
एक परमात्मा की पूजा करनी चाहिए
आन-उपासना (आन धर्म) नर या नारी कोई करो, वह नरक में जाएगा। जो दुर्गा देवी की पूजा करते हैं, भैरव, भूत की पूजा करते हैं। पुत्र होने पर रात जगाते हैं। ये सब नरक के भागी बनेंगे, नरक में गिरेंगे। जिस बगड़ (कालौनी) में दुर्गा देवी का जागरण होता है, उसके कारण सारा नगर डूब जाता है। क्योंकि वह साधना शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण है जो व्यर्थ है। परंतु उसका अनुष्ठान करने वाले सुरीली आवाज वाले होते हैं, नाचते हैं, बाजा बजाते हैं। मन को मोहने वाला जागरण करते हैं। देखा-देखी सारा नगर उस अनुष्ठान को करवाने लगता है। जिस कारण से वह नगर ही नरक में जाता है। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
जागरण के नाम पर मूर्ख बनाने का पाखंड
उदाहरण :- एक रात्रि में एक घर के आंगन में टैंट लगा था जिसमें जागरण करने वाली मंडली रूकी थी। मौसम न गर्मी थी, न सर्दी। अक्तूबर का महीना था। आंगन में टैंट से बाहर जागरण चल रहा था। जो मुख्य गायक था, वह कह रहा था कि सारे बोलो जय माता दी। अगले बोलो जय माता दी, पिछले बोलो जय माता दी। यूं कहता-कहता टैंट में गया और शराब की बोतल से एक कप शराब पीकर तुरंत बाहर आ गया। आते ही बोला मैं नहीं सुनियां जय माता दी, ओए! मैं नहीं सुनिया। श्रोता बोल रहे थे जय माता दी। उसने पी रखी शराब, उसको कैसे सुनेगा? बोलने वालों का गला सूख गया। वह कह रहा था मैं नहीं सुनिया। इस कारण से दुर्गा का अनुष्ठान (जागरण) जहाँ भी होगा, उसका प्रभाव पड़ेगा। आध्यात्मिक लाभ कुछ नहीं मिलता। केवल मन खुश करके नरक में जाना है। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
तो दोस्तों आइए जानते हैं सही विधि क्या है भक्ति की। प्रथम शास्त्र अनुसार सच्चे भगवान की पहचान करना जो कि गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में बताई जानकारी रखने वाले सच्चे सतगुरू की पहचान करके उनसे गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में वर्णित विधि अनुसार छल कपट छोड़कर प्रश्न करने से वे तत्वदर्शी सन्त आपको परम तत्व का (ॐ तत सत)भेद बतायेंगे जिससे आपका मोक्ष संभव। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें। भगवान को कैसे प्रसन्न करे
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