मन रे मान गुराँसा री केणी lyrics
मन रे मान गुराँसा री केणी lyrics
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(सन्त श्री ब्रह्मानंद जी की वाणी )
मन रे मान गुराँ सा री केणी
आठ पहर करका काँई लपटे, पकड़ हंस की रेणी ॥ टेर ॥
सत गुरू बिना तेरा होवे नहीं उधारा, भोगे चारो खाणी ।
नरक कुण्ड में बास करेलो, वेद पुराण बखाणी ॥ 1 ॥
दे उपदेश घने सन्त समझावे, उर में निश्चय आणी ।
शील सन्तोष क्षमा घट भीतर, राम नाम लीव लाणी ॥ 2 ॥
कर विवेक राख वैरागा, खद् सम्पति सजाणी।
यूँ रेवे तूं सत गति को, होवे ब्रह्म गल ताणी ॥ 3 ॥
श्री सच्चीदानंद ब्रह्म निष्ठ गुरू यू समझाणी ।
मानन्द मान मन मेरे ऐ पद हे निखाणी ॥ 4 ॥