Kabirsagar Me Srusti Rachana Sampuran Jankari Praman Sahit
Kabirsagar Me Srusti Rachana
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कबीर सागर में सृष्टि रचना
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने सूक्ष्म वेद अर्थात् कबिर्बाणी में अपने द्वारा रची सृष्टि का ज्ञान स्वयं ही बताया है जो निम्नलिखित है kabirsagar me srusti rachana
अनामी (अनामय) लोक‘ था kabirsagar me srusti rachana
सर्व प्रथम केवल एक स्थान ‘अनामी (अनामय) लोक‘ था। जिसे अकह लोक भी कहा जाता है, पूर्ण परमात्मा उस अनामी लोक में अकेला रहता था। उस परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है। सभी आत्माएँ उस पूर्ण धनी के शरीर में समाई हुई थी। इसी कविर्देव का उपमात्मक (पदवी का) नाम अनामी पुरुष है (पुरुष का अर्थ प्रभु होता है। प्रभु ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप में बनाया है, इसलिए मानव का नाम भी पुरुष ही पड़ा है।) अनामी पुरूष के एक रोम (शरीर के बाल) का प्रकाश शंख सूर्यों की रोशनी से भी अधिक है। विशेष :- जैसे किसी देश के आदरणीय प्रधान मंत्री जी का शरीर का नाम तो अन्य होता है तथा पद का उपमात्मक (पदवी का) नाम प्रधानमंत्री होता है। कई बार प्रधानमंत्री जी अपने पास कई विभाग भी रख लेते हैं। तब जिस भी विभाग के दस्त्तावेजों पर हस्त्ताक्षर करते हैं तो उस समय उसी पद को लिखते हैं। जैसे गृहमंत्रालय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेगें तो अपने को गृह मंत्री लिखेगें। वहाँ उसी व्यक्ति के हस्त्ताक्षर की शक्ति कम होती है। kabirsagar me srusti rachana
अगम लोक में प्रकट हुआ
इसी प्रकार कबीर परमेश्वर (कविर्देव) की रोशनी में अंतर भिन्न-2 लोकों में होता जाता है। ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने नीचे के तीन और लोकों (अगमलोक, अलख लोक, सतलोक) की रचना शब्द(वचन) से की। यही पूर्णब्रह्म परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ही अगम लोक में प्रकट हुआ तथा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अगम लोक का भी स्वामी है तथा वहाँ इनका उपमात्मक (पदवी का) नाम अगम पुरुष अर्थात् अगम प्रभु है। इसी अगम प्रभु का मानव सदृश शरीर बहुत तेजोमय है जिसके एक रोम (शरीर के बाल) की रोशनी खरब सूर्य की रोशनी से भी अधिक है। kabirsagar me srusti rachana
अलख लोक में प्रकट हुआ
यह पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबिर देव=कबीर परमेश्वर) अलख लोक में प्रकट हुआ तथा स्वयं ही अलख लोक का भी स्वामी है तथा उपमात्मक (पदवी का) नाम अलख पुरुष भी इसी परमेश्वर का है तथा इस पूर्ण प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित है। एक रोम (शरीर के बाल) की रोशनी अरब सूर्यों के प्रकाश से भी ज्यादा है। kabirsagar me srusti rachana
यही पूर्ण प्रभु सतलोक में प्रकट हुआ
यही पूर्ण प्रभु सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसलिए इसी का उपमात्मक (पदवी का) नाम सतपुरुष (अविनाशी प्रभु)है। इसी का नाम अकालमूर्ति, शब्द स्वरूपी राम, पूर्ण ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। इसी सतपुरुष कविर्देव (कबीर प्रभु) का मानव सदृश शरीर तेजोमय है। जिसके एक रोम (शरीर के बाल) का प्रकाश करोड़ सूर्यों तथा इतने ही चन्द्रमाओं के प्रकाश से भी अधिक है। kabirsagar me srusti rachana
इस कविर्देव (कबीर प्रभु) ने सतपुरुष रूप में प्रकट होकर सतलोक में विराजमान होकर प्रथम सतलोक में अन्य रचना की। एक शब्द (वचन) से सोलह द्वीपों की रचना की। फिर सोलह शब्दों से सोलह पुत्रों की उत्पत्ति की। एक मानसरोवर की रचना की जिसमें अमृत भरा। सोलह पुत्रों के नाम हैं :- (1) ‘‘कूर्म’’, (2)‘‘ज्ञानी’’, (3) ‘‘विवेक’’, (4) ‘‘तेज’’, (5) ‘‘सहज’’, (6) ‘‘सन्तोष’’, (7)‘‘सुरति’’, (8) ‘‘आनन्द’’, (9) ‘‘क्षमा’’, (10) ‘‘निष्काम’’, (11) ‘जलरंगी‘ (12)‘‘अचिन्त’’, (13) ‘‘प्रेम’’, (14) ‘‘दयाल’’, (15) ‘‘धैर्य’’ (16) ‘‘योग संतायन’’ अर्थात् ‘‘योगजीत‘‘।
सतपुरुष कविर्देव ने अपने पुत्र अचिन्त को सत्यलोक की अन्य रचना का भार सौंपा तथा शक्ति प्रदान की। अचिन्त ने अक्षर पुरुष (परब्रह्म) की शब्द से उत्पत्ति की तथा कहा कि मेरी मदद करना। अक्षर पुरुष स्नान करने मानसरोवर पर गया, वहाँ आनन्द आया तथा सो गया। लम्बे समय तक बाहर नहीं आया। kabirsagar me srusti rachana
तब अचिन्त की प्रार्थना पर अक्षर पुरुष को नींद से जगाने के लिए कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने उसी मानसरोवर से कुछ अमृत जल लेकर एक अण्डा बनाया तथा उस अण्डे में एक आत्मा प्रवेश की तथा अण्डे को मानसरोवर के अमृत जल में छोड़ा। अण्डे की गड़गड़ाहट से अक्षर पुरुष की निंद्रा भंग हुई। उसने अण्डे को क्रोध से देखा जिस कारण से अण्डे के दो भाग हो गए। उसमें से ज्योति निंरजन (क्षर पुरुष) निकला जो आगे चलकर ‘काल‘ कहलाया। इसका वास्तविक नाम ‘‘कैल‘‘ है। तब सतपुरुष (कविर्देव) ने आकाशवाणी की कि आप दोनों बाहर आओ तथा अचिंत के द्वीप में रहो। आज्ञा पाकर अक्षर पुरुष तथा क्षर पुरुष (कैल) दोनों अचिंत के द्वीप में रहने लगे (बच्चों की नालायकी उन्हीं को दिखाई कि कहीं फिर प्रभुता की तड़फ न बन जाए, क्योंकि समर्थ बिन कार्य सफल नहीं होता) फिर पूर्ण धनी कविर्देव ने सर्व रचना स्वयं की। अपनी शब्द शक्ति से एक राजेश्वरी (राष्ट्री) शक्ति उत्पन्न की, जिससे सर्व ब्रह्माण्डों को स्थापित किया। इसी को पराशक्ति परानन्दनी भी कहते हैं। पूर्ण ब्रह्म ने सर्व आत्माओं को अपने ही अन्दर से अपनी वचन शक्ति से अपने मानव शरीर सदृश उत्पन्न किया। प्रत्येक हंस आत्मा का परमात्मा जैसा ही शरीर रचा जिसका तेज 16 (सोलह) सूर्यों जैसा मानव सदृश ही है। परन्तु परमेश्वर के शरीर के एक रोम (शरीर के बाल) का प्रकाश करोड़ों सूर्यों से भी ज्यादा है। बहुत समय उपरान्त क्षर पुरुष (ज्योति निरंजन) ने सोचा कि हम तीनों (अचिन्त – अक्षर पुरुष – क्षर पुरुष) एक द्वीप में रह रहे हैं तथा अन्य एक-एक द्वीप में रह रहे हैं। मैं भी साधना करके अलग द्वीप प्राप्त करूँगा। उसने ऐसा विचार करके एक पैर पर खड़ा होकर सत्तर (70) युग तक तप किया। kabirsagar me srusti rachana
शेष अगले भाग में.:- आत्माएँ काल के जाल में कैसे फँसी
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8:30 बजे।
1 ॐ मंत्र का रहस्य 2 भगवत गीता के गूढ़ रहस्य 3 क्या है वास्तविक आजादी 4 कर नैनो दीदार 5 रक्षाबंधन कैसे मनाएं 6 तंबाकू की उत्पत्ति कथा 7 नशा करता है नाश 8 गृहस्थ जीवन कैसे जीना चाहिए 9 भगवान का संविधान 10 सतगुरु हेलो मारियो रे 11 सुखमय जीवन की दिनचर्या 12 दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार 13 ऊंट की कहानी 14 रविदास जी की वाणी 15 अन्नपूर्णा स्तोत्रम 16 भगवान को कैसे प्रसन्न करें 17 गोस्वामी समाज का इतिहास 18 शिवरात्रि पर विशेष 19 क्या कबीर साहेब भगवान है? 20 शंकराचार्य जी का जीवन परिचय 21 यह है वास्तविक गीता सार 22 आत्मबोध जीव ईश और जगत 23 आध्यात्मिक ज्ञान प्रश्नोत्तरी 24 मकर सक्रांति 2022 25 दहेज प्रथा एक अभिशाप 26 कबीर इज गॉड इन हिंदी 27 भक्तों के लक्षण 28 बलात्कार रोकने के कुछ अचूक उपाय 29 श्राद्ध पूजन की विधि 30 ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई 31 गणेश चतुर्थी मराठी 32 सत भक्ति करने के अद्भुत लाभ 33 हजरत मोहम्मद नु जीवन परिचय 34 हजरत मोहम्मद जीवन परिचय बांग्ला 35 शराब छुड़ाने का रामबाण इलाज 36 आध्यात्मिक प्रश्न और उत्तर 37 सृष्टि रचना के रहस्यों का खुलासा 38 फजाईले आमाल के हकीकत 39 सच्चे संत के क्या लक्षण होते हैं? 40 अल्लाह कैसा है कुरान पाक में 41 कौन थे वीर विक्रमादित्य 42 कौन है सृष्टि का रचियता 43 आत्महत्या कोई समाधान नहीं है! 44 कबीर सर्वानंद ज्ञान चर्चा 45 हज़रत ईसा मसीह कौन थे? 46 हज़रत मोहम्मद साहब की जीवनी 47 फजाईले आमाल के हकीकत