व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
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एक बार बंदरों का एक झुंड सर्दियों के मौसम में बारिश में फस गया। वह सभी ठंड में ठिठुर रहे थे कि तभी एक बंदर को एक जुगनू दिखा। उसके चमचमाते रंग की वजह से बंदर को वह आग की चिंगारी प्रतीत हुई। आग जलाने के लिए सभी बंदर कुछ जुगनू में फूंक मारने लगे । व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
पास एक पेड़ की डाली पर बैठी चिड़िया उनके इस निरर्थक प्रयास को देख रही थी। वह चिल्लाई तुम सब जुगनूओं से आग जलाने की व्यर्थ कोशिश कर रहे हो। तुम सभी को किसी गुफा में छुप जाना चाहिए। व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
बंदरों ने चिड़िया की बात को अनसुना कर दिया और बोले हमें परेशान मत करो भागो यहां से
बंदरों के मना करने के बावजूद चिड़िया उड़ कर उनके पास आ गई और उन्हें गुफा में जाने के लिए सलाह देने लगी। व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
एक बंदर को उस पर गुस्सा आया आ गया और उसने पकड़ कर चिड़िया को जोर से जमीन पर पटक दिया वह बुरी तरह घायल हो गई । व्यर्थ सुजाव एक लघुकथा
नैतिक शिक्षा :-
मूर्खों को सलाह देना बेकार है