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रामचरित्र मानस किसने लिखी?

रामचरित्र मानस किसने लिखी?

‘रामचरित्र मानस’ एक ऐसा महाकाव्य है, जो आदिकाल से आज तक चलने वाला है। इस महाकाव्य के द्वारा महान कवि तुलसीदास ने प्रभु राम की कथा को प्राचीन और सरल लोकभाषा में प्रस्तुत किया है। रामचरित्र मानस के काव्यात्मक चरित्रों, सुंदर भजनों और आध्यात्मिक संदेशों से यह महाकाव्य आज भी लोगों के हृदय में स्थान बनाए हुए है। इसका श्रेय तुलसीदास जी को जाता है, जिन्होंने अपनी अनूठी कला और उदार भावों के माध्यम से राम के अत्यंत सुंदर चरित्र को हमारे बीच प्रस्तुत किया। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

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तुलसीदास जी का जन्म संत काव्यमानस नामक एक छोटे गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम आते हैं बुद्धिवरदेव, जोकि ‘तारकनाथ’ के नाम से भी मशहूर थे। उनके परिवार में अपाद्रव्य वाणी के कारण तुलसी को बाहरी शिक्षा नहीं मिली, लेकिन उनके समस्त शिक्षा संबंधी गुण और कौशल अपने आप में पूर्ण थे। इनके पिता उनके विवाह करने पर मना कर देते थे लेकिन उन्होंने श्रीरामचरितमानस की लेनदेन को आयोजित करने के लिए स्वयं को बांध लिया था। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

यह मान्यता है कि रामायण की रचना वाल्मीकि मुनि ने की थी। लेकिन तुलसीदास जी ने भारतीय साहित्य को एक नया आयाम दिया जब उन्होंने ‘रामचरित्र मानस’ की रचना की। यह अद्भुत काव्य हिंदी भाषा में लिखा गया है और राम भगवान के जीवन की कथा को बहुत उत्कृष्ट ढंग से प्रस्तुत करता है। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

तुलसीदास की सोच और कालजयी प्रतिभा के कारण आपकी कविताएं, भजन और नाटकों के रीति विधि ने लोगों का मन जीता और उन्होंने उन्हें अपनी संस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान दी। ‘रामचरित्र मानस’ वास्तव में हिन्दी के इतिहास में महत्त्वपूर्ण एक चरित्र ग्रंथ है। इस महाकाव्य ने चार युगों से अधिक की अवधि में बड़ी प्रभावशाली प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए बनाए रखा है।

रामचरित्र मानस का निर्माण तुलसीदास जी द्वारा बहुत श्रम के साथ किया गया। इसे श्रीरामायण के संस्कृत मूल पर आधारित किया गया है लेकिन इसमें कथा को बहुत ही सरल भाषा और व्याख्यान का सौंदर्य्यपूर्ण संगम मिला है। श्रीरामायण के आधार पर अपनी भावावधारणा और सजीव वर्णन के बाद तुलसीदास जी ने रामकथा को रामचरित्र मानस के रूप में प्रस्तुत किया है। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

लगभग नौसौ वर्ष पूर्व सटीसवें शताब्दी में तुलसीदास ने यह महाकाव्य लिखना आरम्भ किया था। श्रीरामचरित्र मानस में श्रीराम के जीवन की कथा को तुलसीदास ने एक बड़ी हस्ताक्षरी के रूप में प्रस्तुत किया है। यह काव्य चौपाइयों की रीति में लिखा गया है और कथा का प्रत्येक हिस्सा वायव्यानिक रीति में प्रस्तुत किया गया है।

इस महाकाव्य की सफलता के पीछे तुलसीदास जी की पारंपरिक संस्कृति के संपूर्ण ज्ञान, भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा और इतिहास, कथा और आध्यात्मिक सन्देश को लोगों के बीच प्रस्तुत करने का तरीका है। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

छः सर्गों, बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड और युद्धकांड में बराबर २४,००० चौपाइयाँ प्रस्तुत की गई हैं। भगवान राम के गुणगान, रामभक्ति और उनके अद्वितीय चरित्र के प्रति तुलसीदास जी की अनमोल प्रशंसा इस महाकाव्य में व्यक्त हो रही है।

इतनी बड़ी संख्या में चौपाइयों का प्रस्तुतिकरण करना, कथा को लोगों के हृदय तक पहुंचाना और उसे जीवित रखना तो किसी साधक के बस की बात नहीं होती है। लेकिन तुलसीदास जी ने इसे किया है। इस महाकाव्य की गणना अद्वितीय काव्य ग्रंथों में की जाती है, जो हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। रामचरित्र मानस किसने लिखी?

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