ALL POSTSHindu

रविदास जी की वाणी । रविदास जी के भजन वाणी

रविदास जी की वाणी

रविदास जी की वाणी
रविदास जी की वाणी

रविदास जी ने समाज में प्रचलित जाति व्यवस्था, पाखण्ड पूजा, छुआ-छूत , ऊंच-नीच, असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाई और सभी को सतभक्ति करने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि हम सब ‘एक पूर्ण परमात्मा’ के बच्चें हैं तथा केवल एक पूर्ण परमात्मा की सच्ची भक्ति करने का संदेश दिया। रविदास जी की वाणी

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

रविदासजी को कबीर परमेश्वर ने संपूर्ण संसार का ज्ञान करवाया था। रविदास जी कबीर साहेब जी की सेवा किया करते थे। कबीर साहिब जी के शिष्य थे रविदास जी और उनके निकट ही रहा करते थे। रविदास जी की वाणी

रविदास जी ने तत्कालीन ब्राह्मणों द्वारा फैलाए गए जातिवाद का खंडन करके सभी प्राणियों को परमात्मा की एक समान संतान बताया और संदेश दिया। “जाति नहीं जगदीश की, हरिजन की कहां होय। जात पात के बीच में, डूब मरो मत कोय” रविदास जी समाज में चल रहे कर्मकाण्ड का विरोध करके सैकड़ों जनेऊ धारी ब्राह्मणों को अपने शरीर के अंदर सोने का जनेऊ दिखाया और बताया कि सत भक्ति से ही भगवान के गुणों का लाभ पाया जा सकता है। रविदास जी ने समाज में चल रही पाखंड पूजा का विरोध किया तथा एक परमात्मा की भक्ति करने का संदेश समाज को दिया। रविदास जी की वाणी  “हरि के नाम कबीर उजागर, जनम जनम के काटे कागर” रविदास जी ने भगवान कबीर जी को ही बताया है। रविदास जी की वाणी

एक बार एक ब्राह्मण ने रविदास जी से कहा कि चलो गंगा में नहा कर आते हैं तब रविदास जी ने उत्तर दिया कि हमारी गंगा तो यहीं है, सिमरन ही सब कुछ है।रविदास जी के गुरु थे कबीर साहिब। कबीर साहिब ने मीराबाई की परीक्षा लेने हेतु रविदास जी से मीरा बाई को नाम दीक्षा देने के लिए कहा था कि कहीं ये अब भी लोक लाज तो नहीं मानती। वास्तव में दोनों ही के गुरु कबीर साहिब ही थे। रविदास जी जूते बनाते थे। परंतु उन्होंने कभी जीव हिंसा किया हुआ चाम जूतों में प्रयोग नहीं किया। कोई स्वाभाविक पशु मर जाता था उसका चाम लेते थे।

एक बार एक रानी ने धर्म भंडारे में 700 ब्राह्मण और अपने गुरु रविदास जी को बुलाया। सभी ब्राह्मण रुष्ट हो गए कि एक चमार ने हमारा दीन भ्रष्ट कर दिया। रविदास जी ने लीला की 700 रूप बनकर सब ब्राह्मणों के साथ खाने बैठ गए। और ये घटना देखकर सभी ने रविदास जी का ज्ञान सुना, अपने जनेऊ उतार दिए और उनसे दीक्षा ली। जनेऊ से मोक्ष नहीं रविदास जी ने पंडितों को समझाया की जनेऊ से मोक्ष नहीं होगा, भक्ति से होगा। रविदास जी की वाणी

प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भगति करे रैदासा।
यह पद रविदास जी ने पूर्ण परमात्मा कबीर भगवान के लिए बोला है। संत रविदास जी ने स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की सतभक्ति की और संसार को सतभक्ति के बारे में बताया। रविदास जी की वाणी

संत रविदास जी ने पाखंडवाद, जात-पात, ऊंच नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया। सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। संत रविदास जी ने आन उपासना यानी शास्त्र विरुद्ध साधना को भी नकारा । उन्होंने बताया केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं। इनके अतिरिक्त किसी अन्य देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। इस विषय में संत रविदास जी ने कहा है कि:-
“हीरा छाड़ कै, कैरे आन की आस। ते नर दोजख जाएंगे, सत्य भाखै रविदास।। रविदास जी की वाणी

आध्यात्मिक ज्ञान प्रश्नोत्तरी    कवि गंग के दोहे    गिरधर कविराय की कुंडलियां     रसखान के सवैया     उलट वाणी छंद    गोकुल गांव को पेन्डो ही न्यारौ     ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई       राजा निर्मोही की कथा      गज और ग्राह की कथा      चौबीस सिद्धिया वर्णन      सच्चे संत के क्या लक्षण है?   धर्म क्या है?    शराब छुड़ाने का रामबाण उपाय     बलात्कार रोकने के कुछ उपाय      आत्मबोध जीव ईश्वर निरूपण      शंकराचार्य जी का जीवन परिचय      सती अनुसूया की कथा     अत्रि ऋषि की कथा     भक्त प्रहलाद की कथा     यमराज की कथा   सनकादि ऋषियों की कथा     देवर्षि नारद की कथा     वशिष्ठ ऋषि की कथा    भृगु ऋषि की कथा     महर्षि ऋभु की कथा     गोस्वामी समाज का इतिहास     कपिल मुनि की कथाा     कश्यप ऋषि की कथा      आत्महत्या दुखों का निवारण नहीं

bhaktigyans

My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page