Hindu

ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई सद ग्रंथों से प्रमाणित

ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई सद ग्रंथों से प्रमाणित

ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

🐚ब्रह्मा, विष्णु, महेश अविनाशी नहीं हैं
गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद् देवीभागवत पुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार चिमन लाल गोस्वामी, तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पृष्ठ 123:-
भगवान विष्णु ने दुर्गा की स्तुति की: कहा कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं।

तीनों गुण – ब्रह्मा जी, विष्णु जी, तथा शिव जी नाशवान हैं। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

‘‘तीनों गुण रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी हैं। ब्रह्म (काल) तथा प्रकृति (दुर्गा) से उत्पन्न हुए हैं तथा तीनों नाशवान हैं‘‘
प्रमाण:- गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित श्री शिव महापुराण पृष्ठ 110 अध्याय 9 रूद्र संहिता ‘‘इस प्रकार ब्रह्मा-विष्णु तथा शिव तीनों देवताओं में गुण हैं, परन्तु शिव (ब्रह्म-काल) गुणातीत कहा गया है।

ब्रह्मा जी रजोगुण हैं, विष्णु जी सतगुण हैं और महेश तमोगुण हैं।
श्री मद्देवीभागवत महापुराण सभाषटिकम् पृष्ठ 11-12, अध्याय 5, श्लोक 8
भगवान शंकर बोले:-हे मात! यदि हमारे ऊपर आप दयायुक्त हो तो मुझे तमोगुण क्यों बनाया, कमल से उत्पन्न ब्रह्मा को रजोगुण किस लिए बनाया तथा विष्णु को सतगुण क्यों बनाया?

ब्रह्मलोक में दूसरे ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव हैं, यह ज्योति निरंजन (ब्रह्म) की ही कलाबाजी है, वही अन्य तीन रूप धारण करके ब्रह्मलोक में तीन गुप्त स्थान (एक रजोगुण प्रधान क्षेत्र, एक सतोगुण प्रधान क्षेत्र, एक तमोगुण प्रधान क्षेत्र) बनाकर रहता है। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

🐚ब्रह्मलोक में ज्योति निरंजन (काल/ब्रह्म) दुर्गा को अपनी पत्नी रूप में रखता है। जब ये दोनों रजोगुण प्रधान क्षेत्र में होते हैं तब यह महाब्रह्मा तथा दुर्गा महासावित्री कहलाते हैं। इन दोनों के संयोग से जो पुत्र इस रजोगुण प्रधान क्षेत्र में उत्पन्न होता है वह रजोगुण प्रधान होता है, उसका नाम ब्रह्मा रख देते हैं। जब ये दोनों महाविष्णु तथा महालक्ष्मी रूप में (काल-ब्रह्म तथा दुर्गा) सतोगुण प्रधान क्षेत्र में रहते हैं तब जो पुत्र उत्पन्न होता है वह सतोगुण प्रधान होता है, उसका नाम विष्णु रख देते हैं। जब ये दोनों तमोगुण प्रधान क्षेत्र में रहते हैं तब शिवा अर्थात् दुर्गा तथा महाशिव अर्थात् सदाशिव के पति-पत्नी व्यवहार से जो पुत्र इस क्षेत्र में उत्पन्न होता है, वह तमोगुण प्रधान होता है। इसका नाम शिव रख देते हैं। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

🐚तीनों प्रभु (श्री ब्रह्मा जी रजगुण, श्री विष्णु जी सतगुण तथा श्री शिव जी तमगुण) अपने-अपने लोक में रहते हुए तीन लोक (पृथ्वी लोक, पाताल लोक तथा स्वर्ग लोक) के प्राणियों को प्रभावित रखते हैं। जैसे मोबाईल फोन की रेंज से फोन कार्य करता है।

🐚अदृश शक्ति रूपी गुणों से तीनों देवता अपने पिता काल की सृष्टी उसके आहार के लिए चला रहे हैं।

🐚तीनों देवताओं की शादी दुर्गा ने की। प्रकृति देवी (दुर्गा) ने अपनी शब्द शक्ति से अपने ही अन्य तीन रूप धारण किए। श्री ब्रह्मा जी की शादी सावित्री से, श्री विष्णु जी की शादी लक्ष्मी से तथा श्री शिव जी की शादी उमा अर्थात् काली से करके विमान में बैठाकर इन के अलग-अलग द्वीपों (लोकों) में भेज दिया। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

🐚काल ने दुर्गा से कह रखा है कि मेरा भेद किसी को नहीं कहना है। इस डर से दुर्गा सर्व जगत् को वास्तविकता से अपरिचित रखती है। ये अपने पुत्रों को भी धोखे में रखते हैं। इसका कारण है कि काल को शाप लगा है एक लाख मानव शरीरधारी प्राणियों का आहार नित्य करने का। इसलिए अपने तीनों पुत्रों से अपना आहार तैयार करवाता है।

🐚ज्योति निरंजन तीनों प्रभुओं को भी मार कर खाता है तथा नए पुण्य कर्मी प्राणियों में से तीन पुत्र उत्पन्न करके अपना कार्य जारी रखता है तथा पूर्व वाले तीनों ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव चौरासी लाख योनियों तथा स्वर्ग-नरक में कर्म आधार से चक्र लगाते रहते हैं। यही प्रमाण शिव महापुराण, रूद्र संहिता, प्रथम (सृष्टी) खण्ड, अध्याय 6, 7 तथा 8, 9 में भी है। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

🐚देवीमहापुराण पृष्ठ 11-12, अध्याय 5, श्लोक 12
दुर्गा को प्रकृति भी कहा जाता है। दुर्गा का पति ब्रह्म (क्षर पुरुष/काल) है। यह उसके साथ पति-पत्नी व्यवहार (रमण/विलास) करती रहती है। दुर्गा तथा ब्रह्म दोनों स्थूल शरीर में आकार में हैं।

🐚गीता अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में है। गीता ज्ञान दाता ब्रह्म (क्षर पुरुष/काल) कह रहा है कि प्रकृति (दुर्गा) तो मेरी पत्नी है। मैं इसकी योनी (गर्भाधान स्थान) में बीज स्थापना करता हूँ, जिससे सर्व प्राणियों की उत्पत्ति होती है। मैं सर्व (इक्कीस ब्रह्मण्ड के प्राणियों) का पिता हूँ तथा प्रकृति (दुर्गा/अष्टांगी) सर्व की माता है। इसी दुर्गा (प्रकृति/अष्टांगी) से उत्पन्न तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) अन्य प्राणियों को कर्मों के बंधन में बांधते हैं।

🐚गीता अध्याय 8, श्लोक 16 में, यह लिखा है कि ब्रह्मलोक भी नाशवान है जिसका मतलब है कि ब्रह्म भी श्रेष्ठ परमात्मा नहीं है।

🐚श्रीमद् देवी भगवत (गीताप्रेस गोरखपुर), तृतीय स्कंद, पृष्ठ 114-115 मे स्पस्टीकरण मिलता है कि ब्रह्म (काल/क्षर पुरूष) माँ दुर्गा (प्रकृति देवी/आदीमाया/अष्टांगी/शेरांवाली) के पति है।

🐚श्रीमद् देवी भागवत, स्कंद ६, अध्याय १०, पृष्ठ ४१४ मे व्यास जी, “जनमेजय” द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं :
व्यास जी कहते हैं “कि सतयुग में ब्राह्मणों को वेदों का पूर्ण ज्ञान था। वे निरंतर भगवती जगदम्बिका (दुर्गा) की पूजा करते थे। वे भगवती के दर्शन के लिए हमेशा लालायित रहते थे।

🐚 सात त्रिलोकिय ब्रह्मा (काल के रजगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय विष्णु जी की मृत्यु होती है तथा सात त्रिलोकिय विष्णु (काल के सतगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय शिव (ब्रह्म-काल के तमोगुण पुत्र) की मृत्यु होती है। ऐसे 70000 त्रिलोकिय शिव की मृत्यु के उपरान्त एक ब्रह्मलोकिय महा शिव (सदाशिव अर्थात् काल) की मृत्यु होती है। एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु जितना एक युग परब्रह्म (अक्षर पुरूष) का हुआ। ऐसे एक हजार युग अर्थात् एक हजार ब्रह्मलोकिय शिव (ब्रह्मलोक में स्वयं काल ही महाशिव रूप में रहता है) की मृत्यु के बाद काल के इक्कीस ब्रह्मण्डों का विनाश हो जाता है। ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

🐚काल रूपी ब्रह्म अर्थात् सदाशिव तथा प्रकृति (दुर्गा) श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव के माता पिता हैं। दुर्गा इसे प्रकृति तथा प्रधान भी कहते हैं, इसकी आठ भुजाऐं हैं। यह सदाशिव अर्थात् ज्योति निरंजन काल के शरीर अर्थात् पेट से निकली है। ब्रह्म अर्थात् काल तथा प्रक ति (दुर्गा) सर्व प्राणियों को भ्रमित रखते हैं।

🐚काल को एक लाख मानव शरीरधारी प्राणियों का आहार करने का शाप लगा है काल (ब्रह्म) इक्कीस ब्रह्मण्ड के प्राणियों को तप्तशिला पर भून कर खाता है। इसीलिए जन्म-मृत्यु तथा अन्य दुःखदाई योनियों में पीड़ित करता है तथा अपने तीनों पुत्रों रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी से उत्पत्ति, स्थिति, पालन तथा संहार करवा कर अपना आहार तैयार करवाता है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़िए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा   विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई

bhaktigyans

My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

One thought on “ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई सद ग्रंथों से प्रमाणित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page