पार ब्रह्म का पार नहीं पाया lyrics
पार ब्रह्म का पार नहीं पाया lyrics
(सपर्ग लोक में शोभा उणरी-2)
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पार ब्रह्म का रे पार नहीं पाया ओ तो अपरम ऊल्टो चढ़ै मेरे रामा अपरम उल्टो चढ़ै ए…ओ…जी…हा…
गिगन मण्डल में रे बालक खेले वो तो उल्टी कलामे रमे मेरे रामा उल्टी कला में रमे ए…ओ…जी…हां…
(हद छोड़ बेहद में रे जावै-2) निरभय रा निशोण घूरे ए..
सत संगत बिना ए किस, विध पार लगे गुरु ज्ञानि बिना कुण मोने वातो करे ऐ.…ओ…जी..हा….
पार ब्रह्म का पार नहीं पाया lyrics
रंग रूप तो है नही उनके वो तो घट घट घाट घड़े मेरे रामा घट घट घाट घड़े ए…ओ…जी…हां…
(उण विमोन रे पोंखो नही है-2) कैड़ी- कैड़ी उडोन भरे ए…
सत संगत बिना ए किस, विध पार लगे गुरु ज्ञानि बिना कुण मोने वातो करे ऐ.…ओ…जी..हा….
रूपाराम गुरु पूरा रे मिलिया ओतो अनभै री वात करे मेरे रामा अनभै री वात करे ए…ओ…जी..हां..
(वजाराम सतगरू जी रे चरणे-2) संगतों में सार मळे ए..
सत संगत बिना ए किस, विध पार लगे गुरु ज्ञानि बिना कुण मोने वातो करे ऐ…ओ…जी..हा…. पार ब्रह्म का पार नहीं पाया lyrics
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