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पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

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पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

विष्णु शर्मा और तीन राजकुमार

बहुत समय पहले अमरशक्ति नामक एक राजा थे। वे महिरोप्यम नामक राज्य पर राज कर थे। उसके तीन बेटे थे जो एकदम आलसी थे। अमरशक्ति अपने बेटों की वजह से बहुत उदास रहते थे क्योंकि वे पढ़ने लिखने में बिल्कुल रूचि नहीं दिखाते थे। पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

एक दिन राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाकर उनसे कहा, “मैं अपने राज्य के भविष्य के बारे में आप सबसे कुछ बात करना चाहता हूं। मेरे तीनों बेटे विद्या अध्ययन में बिल्कुल रूचि नहीं लेते। वे भविष्य के होने वाले राजा हैं। इस तरह से वे भविष्य में राज-काज कैसे सम्भालेंगे? मुझे कोई सुझाव दीजिए कि मैं अपने बेटों को कैसे शिक्षित करूं, ताकि आगे जाकर वे मुझे शर्मिन्दा न करें। पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

मत्रियों ने आपस में विचार विमर्श किया। एक सलाहकार आगे आकर बोला, “महाराज, ” मैं एक ब्राह्मण को जानता हूं। उनका नाम पंडित विष्णु शर्मा है। उन्हें जिद्दी बच्चों को शिक्षा देने में महारत हासिल है। अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कल उन्हें दरबार में पेश करूं।” पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

राजा ने सलाहकार से विष्णु शर्मा को दरबार में बुलाने को कहा। अगले दिन अमरशक्ति ने विष्णु शर्मा का दरबार में स्वागत किया और बोले, “मैंने आपकी बहुत प्रशंसा सुनी है। आप राज्य के सबसे बुद्धिमान और सक्षम शिक्षक हैं। मैं चाहता हूं कि आप मेरे बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लें और उन जिद्दी लड़कों का जीवन अपने ज्ञान से प्रकाशित करें। आप जितनी धनराशि मांगेंगे मैं आपको दूंगा । ” पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

पंडित विष्णु शर्मा ने कहा, “क्षमा करें महाराज परन्तु शिक्षा खरीदी नहीं जा सकती। मैं राजकुमारों को जरूर पढ़ाऊंगा पर उसके लिए मुझे धन नहीं चाहिए । आप राजकुमारों को छः महीनों के लिए भेज दीजिए। वे शिक्षित और बौद्धिक बनकर लौटेंगे।”

अमरशक्ति ने राजकुमारों को विष्णु शर्मा के साथ भेज दिया। विष्णु शर्मा उन्हें कहानियों के माध्यम से शिक्षित करते थे । भविष्य में उन्हीं कहानियों को पंचतंत्र नामक किताब में लिपिबध किया गया । पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई

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पंचतन्त्र की कहानियाँ

1. पंचतन्त्र की रचना कैसे हुई 2. नटखट बंदर 3. सियार और ढोल 4. मूर्ख साधु 5. भेड़िया और दो भेड़ 6. कौवे और सांप 7. चालाक खरगोश। 8. नीला सियार 9. भोला ऊंट 10. शेर और बढ़ई 11. चूहा और साधु 12. लालची सियार 13. मूर्ख बंदर 14. शिक्षा का महत्त्व 15. मूर्ख दोस्त•• 16. दो सिर वाली चिड़िया • • 17. सौदा • • 18. दुर्भाग्यशाली बुनकर 19. बैल और लालची सियार • • 20. कबूतर और बहेलिया • • 21. शेर और बैल • 22. बगुला और केकड़ा•• 23. लापरवाह कछुआ. 24. तीन मछलियां.. 25. लोमड़ी और बूढ़ा शेर•• 26. ईर्ष्यालु गधा • • 27. भेड़िया और कुत्ता•• 28. जूं और खटमल • 29. गौरैया और हाथी की लड़ाई • • 30. धूर्त सियार • • 31. शाही नौकर और व्यापारी • • 32. चूहा और तराजू•• 33. भेड़िया और सारस 34. सारस और लोमड़ी • • 35. कछुआ और खरगोश•• 36. चींटी और कबूतर • • 37. अकृतज्ञ मनुष्य.. 38. हंस और उल्लू • • 39. समझदार हंस•• 40. शेर और भेड़ • • 41. धर्मबुद्धि और पापबुद्धि.. 42. चिडिया और बंदर•• 43. इन्द्रदेव का तोता •• 44. मूर्ख सारस •• 45. चोर का बलिदान •• 46. चार दोस्त और शिकारी • • 47. समुद्र और पक्षी के अंडे • 48. चरवाहा और भेड़िया 49. दो यात्री और भालू • • 50. शेर का हिस्सा •• ●● 51. लालच बुरी बला • 52. खट्टे अंगूर•• 53. संगीतकार गधा 54. राक्षस और ब्राह्मण •• 55. ऊंट की घंटी•• 56. बाघ और यात्री •• 57. सियार ने हाथी को कैसे खाया • 58. मूर्ख गधा और शेर • • 59. बकरी और लोमड़ी•• 60. बत्तख और सोने के अंडे • • 61. ब्राह्मण और नाग • 62. अहंकारी हंस •• 63. त्याग .. 64. बूढ़ा आदमी और उसकी पत्नी 65. चुहिया की शादी•• 66. ब्राह्मण, चोर और राक्षस • • 67. ब्राह्मण का सपना•• 68. •• राजा और कुम्हार 69  नन्हा सियार• 70. चोर और बहरूपी राक्षस•• 71. पक्षियों का राजा•• 72. हाथी और खरगोश•• 73. धूर्त बिल्ला•• 74. नाग और चींटी•• 75. चूहा और हाथी • • 76. पंडित की बकरी•• 77. सोने की बीट देने वाला पक्षी • • 78. बोलने वाली गुफा •• 79. मूर्ख मेंढक•• 80. दो सांप•• 81. कौवों और उल्लुओं का युद्ध • • 82. बंदर और मगरमच्छ•• 83. शेर की खाल • 84. कुत्ते की शहर यात्रा •• 85. वफादार नेवला.. 86. मूर्ख नाई•• 87. शेर और चार बैल • • 88. अंधा गिद्ध और बिल्ली • • 89. बैल और बकरी•• 90. लालची कुत्ता•• 91. मूर्ख मेंढक और सांप • • 92. चार ब्राह्मण●● 93.राजा के बंदर • • 94. सियार और हाथी.. 95. कुत्ता और गधा •• 96. शेर बिल्ली और चूहा • • 97. बंदर और घंटी.. 98. लोमड़ी और कौवा • • 9 9. बंदर और बिल्लियां.. 100. प्यासा कौआ • • 101. शेर और चूहा • •

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My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

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