दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार । सत्यार्थ प्रकाश के सम्मूलास
ऐसे थे दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार
जिस किसी सदस्य को कोई बीमारी है उस परिवार में
🐚सत्यार्थ प्रकाश के समुल्लास 4 पृष्ठ 69 पर अज्ञानी दयानंद लिखता है कि जो कन्या माता की 6 पीढ़ियों में तथा पिता के गोत्र में न हो उससे विवाह करें। पृष्ठ 70 पर लिखा है कि जिस परिवार के किसी भी एक सदस्य को बवासीर, दमा खांसी टीबी अमाशय की बीमारी तथा पेट खराब रहता हो, मिर्गी व कुष्ठ रोग हो,शरीर पर लंबे बाल हो उस लड़की से विवाह न करें। दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार
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भूरे नेत्र वाली लड़की से शादी ना करें दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार
🐚 महिलाओं का दुश्मन दयानंद सरस्वती अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के समुल्लास 4 के पृष्ठ 71 पर लिखता है कि जो लड़की पुरुषों से ज्यादा लंबी चौड़ी हो, जिसके बाल न हों या अधिक बाल हों, भूरे नेत्र हों, उस कन्या से विवाह न करें।
ईसाई धर्म पर अभद्र कटाक्ष
सत्यार्थ प्रकाश के समुल्लास नंबर 13 के पृष्ठ नंबर 414, 425, 428 इत्यादि अनेक पृष्ठों पर दयानंद सरस्वती ने अभद्र टिप्पणियां करते हुए ईसा जी के अनुयायियों को जंगली व्यक्ति कहा है।
विधवा स्त्री के लिए क्या नियम है
दयानंद सरस्वती ने विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का तो खंडन किया लेकिन 11 गैर मर्दों के साथ नियोग (पशु तुल्य कर्म) की छूट दी, ऐसे थे समाज नाशक महर्षि दयानंद सरस्वती समुल्लास 4 पृष्ठ 96-97 पर लिखते हैं कि यदि विधवा का पुनः विवाह किया जाता है तो उसका पतिव्रत धर्म नष्ट हो जाएगा।
11 पुरुषों के साथ नियोग कर सकती है
फिर समुल्लास 4 के पृष्ठ 101 पर कहते हैं कि एक स्त्री 11 पुरुषों तक नियोग अर्थात पशु तुल्य कर्म कर सकती है।पशु कर्म “नियोग” के समर्थक दयानंद सरस्वती जी कहते हैं कि यदि किसी स्त्री का पति विदेश गया हो और 3 वर्ष तक न आये या पति उसे मारता पीटता हो तो वह स्त्री गैर पुरुष से संतान उत्पत्ति करले। वह संतान जीवित विवाहित पति की मानी जायेगी। – समुल्लास 4 पृष्ठ 102 महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश से समाज में सिर्फ चरित्र हीनता को बढ़ावा दिया है। इस पुस्तक में समुल्लास 4 पृष्ठ 100 पर लिखा है : अगर किसी महिला का पति विदेश में धन कमाने गया हो, तो वह महिला 3 साल पति का इंतजार कर किसी दुसरे पुरुष के साथ नियोग (सम्भोग) कर ले, अगर दूसरे पुरुष से गर्भ धारण न हो तो तीसरे आदमी से, और उस से भी न हो तो, चोथे-पांचवे-छ्टे अर्थात ग्यारहवें पुरुष से सम्बन्ध बना सकती है, उनसे उत्पन्न संतान पहले पति की ही मानी जाएगी।
कबीर साहेब जी पर अभद्र टिप्पणी
🐚संत गरीबदास जी, नानक जी, रविदास जी, दादू जी इत्यादि सन्तों ने अपनी वाणी में परमेश्वर कबीर जी की महिमा का गुणगान किया है। लेकिन अज्ञानी दयानंद ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के 11वें समुल्लास के पृष्ठ 306 पर पूरी जुलाहा जाति को नीच व मूर्ख लिखते हुए कहा है कि कबीर जी तंबूरा लेकर गाते थे और कुछ नीच जुलाहा आदि लोग उनके साथ जुड़ गए ।
शिवजी ने की महा गलती पार्वती जी से शादी
🐚दयानंद सरस्वती ने भांग के नशे में सत्यार्थ प्रकाश के समु. 4 पृष्ठ 71 पर लिखा है कि जिस लड़की के भूरे नेत्र हों या जिसका नाम पार्वती, गंगा, काली आदि हो तो उससे विवाह न करें। फिर तो विचार करने की बात है कि भगवान शंकर से भी गलती हुई है उन्होंने पार्वती नाम की लड़की से शादी की। सत्यार्थ प्रकाश नामक पुस्तक में महर्षि दयानंद का कहना है कि, गोमती, पार्वती, गोदावरी नाम वाली या कैरी आंखों वाली लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए।
परमात्मा पाप नाश नही कर सकते
🐚दयानंद सरस्वती सत्यार्थ प्रकाश के समु. 7 पृष्ठ 155 व 163 में लिखते हैं कि परमात्मा साधक के पाप नाश नहीं करता और महर्षि दयानंद का यह भी कहना है कि सत्यार्थ प्रकाश का ज्ञान वेदों का ही सरल करके लिखा है जबकि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में स्पष्ट रूप से छः बार लिखा है कि परमात्मा साधक के घोर से घोर पापों का भी नाश कर देता है।
दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार विज्ञान को झूठा साबित
🐚महर्षि दयानंद का कहना है कि, सूर्य पर प्रजा रहती है। पृथ्वी के समान सर्व वस्तुएं पाई जाती हैं। और वहां वेदों को पढ़ने वाले मनुष्य रहते हैं। सभ्य समाज जरा विचार करें भला एक आग के गोले पर जीवन कैसे संभव है। डॉक्टर कहते हैं कि बच्चे को छः माह तक मां का दूध पिलाना चाहिए। लेकिन महर्षि दयानंद जी अपने सत्यार्थ प्रकाश के समु. 4 पृष्ठ 82 में कहते हैं कि बच्चे को मां का दूध छः दिन से ज्यादा नहीं पिलाना चाहिए नहीं तो मां अपना सौंदर्य खो देगी।
सत्यार्थ प्रकाश या सत्यानाश प्रकाश दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार
🐚महर्षि दयानन्द द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक में समाज नाश की झलक है, इस पुस्तक के समुल्लास-4 पृष्ठ-71 पर ही लिखा है कि 24 वर्ष की स्त्री और 48 वर्ष के पुरूष का विवाह करना उत्तम है।
पवित्र मुस्लिम धर्म पर अभद्र टिप्पणि
🐚स्वामी दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश के समुल्लास 14 के पृष्ठ 455, 470, 480, 483 तथा और भी अन्य कई जगह पर मुस्लिम धर्म पर अभद्र टिप्पणियां करते हुए मोहम्मद जी को मूर्ख तथा जंगली बताया है ।
आदरणीय गुरु नानक देव जी पर अभद्र टिप्पणी
🐚सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 11 के पृष्ठ 307 से 309 पर आदरणीय गुरु नानक देव जी को मूर्ख ढोंगी अभिमानी लिखा है तथा पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी को मिथ्या गपोड़ों का संग्रह बताया है।
परमात्मा अपने साधक के पाप नाश नहीं कर सकता
🐚दयानंद सरस्वती जी कहते थे कि परमात्मा अपने साधक के पाप नाश नहीं कर सकता। सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 7 पृष्ठ 155, 163 पर। वेद कहते हैं कि परमात्मा घोर से घोर पाप नाश कर सकता है। प्रमाण : यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2 पर।
🐚दयानंद सरस्वती का मानना था कि परमात्मा निराकार है – सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 7 पृष्ठ 149, 154, समुल्लास 9 पृष्ठ 176, समुल्लास 11 पृष्ठ 251 जबकि वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा साकार है राजा के समान दर्शनीय है। प्रमाण : यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, 6, 8, अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 31 मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26-27 पर।
जैसी करनी वैसी भरनी
🐚दयानंद सरस्वती की सम्वत् 1940 अथार्त् सन् 1883 में 59 वर्ष की आयु में महान पीड़ा सहन करके, दुर्दशा से मृत्यु हुई। उनका मल-मूत्र वस्त्रों में ही निकल जाता था, उनकी जीभ पर, पूरे शरीर पर, कंठ, मूँह के अन्दर, माथे पर तथा सिर पर छाले पड़ गए थे। इस प्रकार उनकी कर्म (मिथ्या भाषण रूप पाप) का दण्ड भोगते हुए दुर्दशा से मृत्यु हुई।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपको अजीब लगी होगी लेकिन यह सत्य है अगर आपको विश्वास नहीं है तो आप दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित पुष्तक सत्यार्थ प्रकाश आप पढ़ सकते हो। ऐसी और भी प्रमाणित जानकारी अथवा संतो भक्तों के चरित्र एवं कवियों के दोहे सवैये सोरठे छन्द आदि पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट को विजिट कर सकते हो अथवा नीचे दिए समरी पर भी क्लिक करके पढ़ सकते हो। धन्यवाद !
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विचार करने योग्य बात है