गोस्वामी समाज का इतिहास चार मठ बावन मढ़ी संपुर्ण परिचय
गोस्वामी समाज का इतिहास
आइए पढ़ते है दशनाम नाम गोस्वामी समाज का परम पावन इतिहास जिसमें 4 मठ 52 मढ़िया और भी महावाक्य गोत्र, देवी देवता आदि आदि। गोस्वामी समाज का इतिहास
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गोस्वामी समाज का इतिहास संक्षिप्त परिचय
गोस्वामी (गुसाईं) एक उपनाम हैं। आदि गुरु शंकराचार्य ने गृहस्थ ऋषि समाज के लोगों में से धर्म की हानि को रोकने के लिये श्रेष्ठ ऋषि संतान एक नये सम्प्रदाय की शुरुआत की जिन्हे गुसाईं/गोस्वामी /गोसाईं कहा गया। कुल दस भागों में इन्हे विभाजित किया गया अर्थात इसमें दस तरह की उपजातिया होती है जिनमे 1.पुरी, 2.भारती, 3.सरस्वती, 4.गिरि, 5.पर्वत, 6.सागर, 7.वन, 8.अरण्य, 9.तीर्थ, एवं 10.आश्रम, शामिल है। इन्हें दशनाम गोसाई/गुसाईं/गोस्वामी के रूप मे जाना जाता हैं। इस शीर्षक का मतलब गौ अर्थात पांचो इन्द्रियाँ:- कर्ण, चक्षु, रचना, घ्राण, त्वसा, स्वामी अर्थात नियंत्रण रखने वाला। इस प्रकार गोस्वामी का अर्थ पांचो इन्द्रियों को वश में रखने वाला होता है। लेकिन बोलचाल की भाषा में गोस्वामी का अर्थ हिन्दुओं के रक्षक व गौरक्षक से भी समझा जाता है। गोस्वामी समाज का इतिहास
गोस्वामी समाज की प्रसिद्धि
भारतीय उपजाति “गोस्वामी” के समूह से बना यह समाज सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है। गोस्वामी समाज के सर्वाधिक लोग राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल , हरियाणा, पंजाब, झारखंड, आसाम एवम बिहार में रहते हैं। नेपाल में दशनाम गुसाईं समाज कुल जनसंख्या के 1%से भी अधिक हैं। ये शिव के उपासक होते हैं। दिन रात शिव की पूजा करते हैं और शिव को ही अपना इष्ट आराध्य देवमानते है। जिससे लोग इन पुजारी को ब्राह्मण समझा जाता है। लेकिन तकनीकी रूप से गोसाईं (गोस्वामी) ब्राह्मणों से अधिक श्रेष्ठ होते हैं। गोस्वामी समाज का इतिहास
गोस्वामी समाज की पहचान
गोसाईं सम्प्रदाय के साधु प्रायः गेरुआ (भगवा रंग) वस्त्र पहनते, एक भुजवाली लाठी रखते और गले में चौवन, रुद्राक्षों की माला पहनते हैं। इनमें कुछ लोग ललाट पर चन्दन या राख से तीन क्षैतिज रेखाएं बना लेते। तीन रेखाएं शिव के त्रिशूल का प्रतीक होती है, दो रेखाओं के साथ एक बिन्दी ऊपर या नीचे बनाते, जो शिवलिंग का प्रतीक होती है। दसनामी संत ‘ॐ नमो नारायण’ शब्द से आपस में व्यवहार करते हैं। ‘नमः शिवाय’ से शिव की आराधना करते हैं। कुंभ मेले के समय गुसाईं/ गोस्वामी सम्प्रदाय शाही स्नान मे भी भागीदार रहते हैं । इनकी मुख्य काम सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना है । सभी जाति एवं समुदाय के लोग हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। इन्हें बाबाजी, महाराज, गुसाई, स्वामी जी आदि नामों से पुकारा जाता है। गोस्वामी समाज का इतिहास
गोस्वामी समाज का इतिहास सन्यास परम्परा
आइए पढ़ते हैं इनके बारे में विस्तार से:- सतयुग के संन्यासी:- शिव, ब्रह्मा, विष्णु। त्रेता युग के सन्यासी:- पाराशर, शक्ति ऋषि, वशिष्ठ मुनि। द्वापर युग के सन्यासी:- वेद व्यास, सुखदेव। कलयुग के सन्यासी:- गौड़ गोविंदाचार्य शंकराचार्या, इन्होंने ही चारों दिशाओं में चारों मठों की स्थापना की।
श्रृंगेरी मठ का परिचय
श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती, पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है। जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।
1 सन्यासी:-भारतीय पूरी सरस्वती 2 संप्रदाय:- भुरिवार 3 महावाक्य:-अहम् ब्रह्मास्मि 4 गोत्र:- भूर्भुव 5 देवता:- आदिवारह 6 देवी:- कामाक्षा 7 वेद:- यजुर्वेद 8 तीर्थ:- रामेश्वरम 9 ब्रह्मचारी:- चैतन्य 10 इस मठ के पहले मठाधीश आचार्य पृथ्वीधराचार्य थे। इस मठ के सन्यासियों की कुल बीस मढ़िया बताई गई है जिसमें से 4 भारतीयों की और 16 पुरियों की।
भारतीयों की चार मढ़िया:- 1. मन मुकुंद भारती, 2. नर्सिंग भारती, 4. पद्मनाभ भारती, 4. बाल विजय नाथ भारती जिसमें वर्तमान में दो ही मढ़िया रह गई है, मन मुकुंद भारती और नर्सिंग भारती और पद्मनाभ भारती बाल विजयनाथ भारती यह प्रायः लुफ्त हो गई है।
पूरीयों की सोलह मढ़िया:- 1. बैकुंठपुरी,2. केशवपुरी मुल्तानी, 3. गंग दरियापुरी, 4. त्रिलोकपुरी 5. वन मेघनाथ पुरी, 6 सुज पूरी, 7. भगवंत पुरी, 8 पूर्ण पूरी, 9. भंडारी हनुमत पूरी, 10. जड़ भरत पुरी, 11. लंदेर पुरी, 12. संग दरिया पुरी, 13. सोम दरिया पुरी, 14. नीलकंठ पूरी, 15 तामक भिया पूरी, 16 मयापुरी निरंजनी। सरस्वती की कोई मढ़ी नहीं बताई गई है।
गोवर्धन मठ का परिचय
पूर्व दिशा में गोवर्धन मठ उड़ीसा के पुरी में है. गोवर्धन मठ का संबंध भगवान जगन्नाथ मंदिर से है. बिहार से लेकर राजमुंद्री तक और उड़ीसा से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का भाग इस मठ के अंतर्गत आता है. गोवर्द्धन मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद वन एवं अरण्य’ सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है। जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। 1 सन्यासी:- वन,अरण्य 2 संप्रदाय:- भोगवार 3 महावाक्य:- प्रज्ञानब्रह्म 4 गोत्र:- कश्यप 5 देवता:- जगन्नाथ 6 देवी:- विमला देवी 7 वेद:- ऋग्वेद 8 तीर्थ:- महोदधि 9 ब्रह्मचारी:- प्रकाश 10 इस मठ के पहले मठाधीश आचार्य पद्मपाद थे। इस मठ के सन्यासियों की कुल चार मढ़िया बताई गई है जिसमें वनों की चार मढ़िया:- 1. गंगासनी वन, (सिंहासनी वन) बाल वन 2. कुंडली श्री वन होड़ासरि श्रीवन आत्मा बन गोस्वामी समाज का इतिहास
शारदा मठ का परिचय
पश्चिम दिशा में स्थित द्वारका मठ को शारदा पीठ के नाम से भी जाना जाता है. यह मठ गुजरात में द्वारकाधाम में है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद ‘तीर्थ’ और ‘आश्रम’ सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।
1 सन्यासी:- तीर्थ, एवं आश्रम 2 संप्रदाय:- किटवार 3 महावाक्य:- तत्वमसी 4 गोत्र:- अविगत 5 देवता:- सिदेश्वर 6 देवी:- भद्रकाली 7 वेद:- सामवेद 8 तीर्थ:- गोमती 9 ब्रह्मचारी:- प्रकाश 10 इस मठ के पहले मठाधीश आचार्य स्वरूपाचार्य थे। इस मठ के सन्यासियों की कोई मढ़िया नहीं बताई गई है। गोस्वामी समाज का इतिहास
ज्योतिर्मठ (जोशी मठ) परिचय
उतर दिशा में ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में है. ऐतिहासिक तौर पर, ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी. ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद ‘गिरि’, ‘पर्वत’ और ‘सागर’ सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।
1 सन्यासी:- गिरी, पर्वत, सागर 2 संप्रदाय:- आनन्दवार 3 महावाक्य:- अयमात्मा ब्रह्म 4 गोत्र:- भृगु 5 देवता:- नारायण 6 देवी:- पुण्यागिरी 7 वेद:- अथर्ववेद 8 तीर्थ:- अलखनंदा 9 ब्रह्मचारी:- अनंत 10 इस मठ के पहले मठाधीश आचार्य त्रोटकाचार्य थे।
इस मठ के सन्यासियों की कुल बीस मढ़िया बताई गई है जिसमें
गिरीयों की सताइस मढ़िया इस प्रकार है:- 1. रामदति, 2. ओंकार लाल नाथी, 3. चंदन नाथी बोदला, 4. ब्रह्मा नाथी, 5 दुर्गा नाथी, 6. ब्रह्मभद्र नाथी, 7 सजनाथी, 8. जग जीवन नाथी, 9. पाटम्बर नाथी, 10. ज्ञानी नाथी, 11 अघोर नाथी, 12. भावनाथी, 13. रिद्धि नाथी, 14. सागर नाथी, 15 चंद्रनाथी, 16. कुसुम नाथी, 17. अपार नाथी, 18. रत्न नाथी, 19 नागेंद्र नाथी, 20. रुद्र नाथी, 21. महेश नाथी, 22. अजरज नाथी, 23. मेघनाथी, 24. पर्वत नाथी, 25. मान नाथी, 26. पारसनाथी, 27. दरिया नाथी।
गिरियों की 27 पुरियों की 16 भारतीयों की 4 वनों की 4 लामा चीन में 1 मढ़ी है।
चार मठ
गोस्वामी समाज की अतिरिक्त जानकारी
भगवान शंकर के कौन से अंग से दशनाम। ब्रह्मांड से पूरी, ललाट से भारती, जिव्या से सरस्वती, बाहु से गिरि, पर्वत, सागर, कुक्ष के वन, अरण्य, चरण से तीर्थ, आश्रम, गुरू शंकरचार्य आचार्य सन्यासी।
चार सन्यास:- हंस, परमहंस, बोधक, कुटिचर,
चार धूनी:- गोपाल धूनी, अजय मेघ धूनी, दत धूनी, अर्धमुखी धूनी,
चार भाले:- दत प्रकाश, सूर्य प्रकाश, भैरव प्रकाश, चंद्र प्रकाश,
सात अखाड़े:- श्री पंच दशनाम जुना अखाड़ा,श्री पंच दशनाम आव्हान अखाड़ा,श्री पंच दशनाम निरंजनी अखाड़ा,श्री पंच दशनाम आनंद अखाड़ा,श्री पंच दशनाम निर्वाणी अखाड़ा,श्री पंच दशनाम अटल अखाड़ा,श्री पंच दशनाम अग्नि अखाड़ा। गोस्वामी समाज का इतिहास
🙏🏻🌹ॐ नमो नारायण जी🌹🙏🏻
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दत्तात्रेयजी के चौबीस गुरु कौन थे
गोकुल गांव को पेन्डो ही न्यारौ
Bahut accha laga (OM NAMO NARAYAN)
Bhut achhi bat likha hai asp ne dhnybad
बहुत अच्छा । गिरि मे जो 27 मढिया है उनका विस्तृत वर्णन जिसमे प्रत्येक मढियो का विस्तृत वर्णन कैसे प्राप्त होगा। कृपया बताये।
गोस्वामी समाज मे महंत लिखने का अधिकार किसको है ? कृपया बताएं महाराज जी
ओम नमो नारायण पढ़ के बोहत अच्छा लगा जय दसनाम
Thank you ji
Kya bat sir gajab jankari
अति सुन्दर प्रयास, शुक्रिया और शुभकामनाएं
यह जानकारी लगभग लुप्तप्राय है। ढूंढने पर भी नहीं मिलती। आज की युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही सुन्दर पहल की है, आपने बहुत बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबको। आगे भी एसी उत्तम जानकारी देते रहिएगा।
समाज को अपने केन्द्र से जोड़े रखने और जागरूक करने का श्रेष्ठतम – सराहनीय कदम ।
ॐ नमो नारायण
Dhanvad ye jankari dane ke liye
waoo mjja aa gya kitna acha appne likha he thanks sir
Thank you ji
महोदय इसमें गिरी मंडियों में हमारी मंडी का नाम नहीं है जिसका नाम है आसन नाथी (राजस्थान)
Om namo Narayan Goswami samaj bhai bandhuon
ॐ नमो नारायण श्री आदरणीय में उम्मेद पुरी मेरी मठ श्रंगेरी है मढी प्रयाग शाही है लेकिन प्रयाग शाही मंढी कहीं नज़र नहीं आई कीरपया मार्ग दर्शन करे
ॐ नमो नारायण में उम्मेद पुरी फालना राजस्थान मेरी मठ श्रंगेरी है मढी प्रयाग शाही है लेकिन प्रयाग शाही मंढी कहीं नज़र नहीं आती कुरपया मार्ग दर्शन करे
आपकी मढ़ी एड कर देंगे जी आपके सुजाव के लिए धन्यवाद जी