गुरू समान दाता भजन Lyrics
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
गुरू समान दाता भजन Lyrics
गुरू समान दाता जग में है नाहीं
(सन्त श्री कबीर जी की वाणी )
गुरू समान दाता जग में है नाहीं, सब सग मांगणहारा |
राजा प्रजा बादशाह, सब मिल हाथ पसारा ॥ टेर॥
तीन लोक के उपरे, सत शब्द का उचारा ।
सात द्वीप नव खण्ड़ में तहाँ सकल पसारा ॥ 1 ॥
अपराधी तीर्थ को चले, वो कांई तीर्थं तारे ।
काम क्रोध मद ना छूटे, खाली देही को बखाने ॥ 2 ॥
पत्थर को कांई पूजिये, फिर उसमे क्या पावे ।
अड़सठ तीर्थं फल मिले, जो कोई सन्त जिमावे ॥ 3 ॥
कागद की नौका बणी, मांयने लोहा भारा ।
शब्द भेद जाणे नाहीं, मूरख पच पच हारा ॥ 4 ॥
वचन मनोरथ गुरू मिले, घट भया उजियाला ।
सतगुरू पार उतारसी, सोई सन्त पुकारा ॥ 5 ॥
कहे कबीरसा धरमीदास ने, आन्धे को कांई सूझे।
आन्धे को नाहीं सूझे, सायब घट घट बोले ॥ 6 ॥
गुरू समान दाता भजन Lyrics
मुझे उम्मीद है मित्रों की यह गुरू समान दाता भजन के भजन पद रचनाएं आपको पसंद आई होगी अगर भजन पसंद आए तो कृपया लाइक करें कमेंट करें एवं अपने प्रिय दोस्तों में शेयर जरुर करें साथ-साथ अगर आप अन्य कवियों संतो के भजन पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक समरी पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। धंयवाद! गजानन्दजी के भजन lyrics मेरे प्रिये मित्रों से एक प्राथना है कि आप मेरे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें और अपना छोटा भाई समझ कर स्पोर्ट जरूर करें भजनों का चैनल है। 🔜 【 क्लिक करें 】
ज्यादा पढ़ने के लिए कृपया यहाँ नीचे समरी पर क्लिक करें 👇
(1) पेला पेला देवरे गजानंद सिमरो (2) मैं थाने सिमरु गजानंद देवा (3) सन्तो पूजो पांचोहि देवा (4) गणपत देव रे मनाता (5) मनावो साधो गवरी रो पुत्र गणेश (6) सन्तो मैं बाबा बहुरंगी (7) सन्तो अविगत लिखीयो ना जाई (8) अब मेरी सुरता भजन में लागी (9) अब हम गुरु गम आतम चीन्हा (10) काया ने सिणगार कोयलिया (11) मत कर भोली आत्मा (12) जोगीड़ा ने जादू कीन्हो रे (13) मुसाफिर मत ना भटके रे (14) गिगन में जाए खड़ी प्रश्न उत्तर वाणी (15) जिस मालिक ने सृष्टि रचाई (16) बर्तन जोये वस्तु वोरिए (17) गुरु देव कहे सुन चेला (18) संतो ज्ञान करो निर्मोही (19) मोक्स का पंथ है न्यारा (20) गुरुजी बिना सुता ने कूण जगावे (21) केसर रल गई गारा में (22) पार ब्रह्म का पार नहीं पाया (23) आयो आयो लाभ जन्म शुभ पायो (24) इण विध हालो गुरुमुखी (25) आज रे आनंद मारे सतगुरु आया पावणा (26) मारे घरे आजा संत मिजवान (27) गुरु समान दाता जग में है नहीं (28) बलिहारी गुरुदेव आपने बलिहारी (29) गुरु बिन घोर अंधेरा (30) भोली सी दुनिया सतगरु बिन कैसे सरिया