गणपत गुरुवा ओपना भजन lyrics
गणपत गुरुवा ओपना भजन lyrics
सतगुरु हेलो मारियो रे
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(1) गुणपत गरुवा ओपणा रे सिमरो भाई संतो।
भावसागरिया में भटकता रे पद हमके लादौ।।
सतगुरु हेलो मारियो रे ऊँगोणा जागो पूरे।
गुरू हेलो मारियो रे जसके ने जागो।
सूरा पूरा रो खेलनो रे कायर मत भागो ।। टेर ।।
(2) नदी किनारे बैसनो रे जल अमृत पिनो।
वचन गुरुजी रा मोनणा रे पग धरणो आगो।।
(3) सीपे मोती निपजे रे हँसला बन हालो।
हिरला बिणजो हेत रा रे अमरापुर मालो।।
(4) कँहु दीवना देश री रे साची कर मोनो।
धर्मिदास धन हेरियो रे एतबारो ही आयो।।
गुणपत गरुवा आपणा रे
भावार्थः धर्मिदास जी महाराज कह रहे हैं कि मोक्ष की प्राप्ति चाहने वाले भक्त को प्रथम सतगुरु की शरण में जाकर छल कपट को छोड़कर निष्कपट भावना से प्रश्न करने पर वे गुणों के आघार सच्चे गुरु उस पर कृपा करके उसे इस संसार सागर से पार उतारने के लिए सत मन्त्रो का उपदेश करते हैं फिर सतगुरु से प्राप्त मन्त्र को उनकी बताई हुई विधि अनुसार सुमिरण करके इस भवसिंधु से पार हो सकते है। चौरासी लाख योनियों में मनुष्य योनि में ही यह कार्य हम कर सकते हैं यही उत्तम पद हमे प्राप्त हुआ है। गणपत गुरुवा ओपना भजन lyrics
नदी किनारे बैसनो रे
सच्चे गुरु की सत्संग रूपी नदियां बह रही है हमें उस नदी किनारे (सतगुरु के सहारे) जल (सत्संग रूपी अमृत वचन) जल को पीकर मनुष्य जन्म का मूल उद्देश्य (मोक्ष) पूरा करना चाहिए। गुरुजी की बताई मर्यादा में रहकर संसार में अपने कार्य का निर्वहन करना चाहिए।
सीपे मोती निपजे रे
पूर्ण मुक्ति के मन्त्र को यहाँ पर मोती कहा है वो सिंप (एक प्रकार की मछली) मुख में ही बनता है। आसोज महीने में वर्षा की बूंद सीधी उस मछली के मुंह में गिरने से उस बून्द का मोती बन जाता है। ऐसा मुक्ता मोती सतगुरु जी प्राप्त करवाते हैं उसके लिए हमे हँस (विवेकी) बनकर उनकी सत्संग में उनके चरणों में जाना पड़ेगा फिर उनमें पूर्ण विश्वास और प्रेम करके हम उस पूर्ण मुक्ति मन्त्र को प्राप्त करके अमरापुर (जन्म मृत्यु रहित लोक) में स्थायी स्थान पा सकते हैं। गणपत गुरुवा ओपना भजन lyrics
कँहु दीवना देश री रे
धर्मिदास जी ने कहा वो दीवानों का देश है (केवल जन्म मरण से छुटकारा पाने वालों का) इस बात को आप सच कर मानना मैने भी उस पूर्ण मुक्ति रूपी लक्ष्य को पहले प्राप्त किया तब मुझे भी विश्वास हुआ। गणपत गुरुवा ओपना भजन lyrics
उपसंहार
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Jordar
Very very nice lin