गजानन्दजी के भजन lyrics
गजानन्दजी के भजन lyrics श्रीगणेश-वन्दना
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( 1 )
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
गुरुर्ब्रह्मा – गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
( 2 )
आनन्द करन आवत है गणपति ।
विघ्न हरन आवत है गणपति ॥ टेर ॥
गौरी रो पुत्र विनायक आवे, विनायक आवे ।
और आवे रिद्धि सिद्धि, आनन्द करन ॥
रामजी आवे, सीताजी आवे, सीताजी आवे ।
और आवे लछमनजी, आनन्द करन ॥
वेद पढ़न्ता ब्रह्माजी आवे, ब्रह्माजी आवे ।
और आवे सावित्री, आनन्द करन ॥
गंग जटा शिवशंकर आवे, शिवशंकर आवे ।
और आवे पारवती, आनन्द करन ॥
बांध घुघरा भैरूजी आवे ।
और आवे हनुमन्ता, आनन्द करन ॥
तुलसिदास आशा रघुवरकी ।
हरि के चरण चित्त लावे आनन्द करन ॥
गजानन्दजी के भजन lyrics
(3)
गाइये गनपति जगबन्दन ।
संकर सुवन भवानी-नन्दन ॥
सिद्धि – सदन, गजबदन, बिनायक ।
कृपासिंधु सुन्दर सब लायक ॥
मोदक – प्रिय, मुद-मंगल – दाता ।
बिद्या- बारिधि बुद्धि – बिधाता ॥
माँगत तुलसिदास कर जोरे ।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
(4)
गजानन्द सरकार पधारो, कीर्तन की सब त्यारी है,।
आओ आओ, बेगा आओ, चाव दरश को भारी है ॥ टेर ॥
थे आओ जद काम बणैला, थां पर सारी बाजी है,।।
रणत भंवरगढ़ वाला सुणल्यो, चिन्ता म्हारे लागी है,।।
देर करो मत, ना तरसाओ, चरणां अर्ज हमारी है ।।
गजानन्द सरकार पधारो ॥ १ ॥
रिद्धि-सिद्धि संग ले आओ विनायक, द्यो दर्शन थारे भक्तां ने,।।
भोग लगावां, धोक लगावां, पुष्प चढ़ावा थारे चरणां में,।।
गजानन्द थारे हाथां में, अब तो लाज हमारी है ॥
गजानन्द सरकार पधारो ॥ २ ॥
भक्तां की तो विनती सुणलो, शिव-सुत प्यारो आयो हैं, जय।
जयकार करो गणपति की, आकर मन हरषायो है,।
बरसैलो रस अब भजनां में, ‘थारी’ महिमा न्यारी है ल।।
गजानन्द सरकार पधारो ॥ ३ ॥
गजानन्दजी के भजन lyrics
(5)
घर में पधारो गजानन्दजी, म्हारे घर में पधारो ।
रिद्धि-सिद्धि ले के आवो गणराजा, मेरे घर में पधारो ॥
रामजी आवो लक्ष्मणजी आवो – २ ।
संग में लाओ सीता मैया, म्हारे घर में पधारो ॥
ब्रह्माजी विष्णुजी आवो – २ |
भोले शंकरजी चले आओ, म्हारे घर में पधारो ॥
लक्ष्मीजी आवो, गौराजी आवो -२ ।
सरस्वती मैया को ले आवो, म्हारे घर में पधारो ॥
विघ्न हर दो, मंगल कर दो-२।
कारज शुभ कर जाओ, म्हारे घर में पधारो ॥
(7)
घूमतड़ा घर आवो ओ हो, म्हारां प्यारा गजानन्द ।
सभा में रंग बरसावो ओ हो, म्हारां प्यारा गजानन्द ॥ १ ॥
रणक भवन से आप पधारो देवा रिद्धि-सिद्धि संग में लावो ।
शिवजी संग गौरामाँ ने लावो, ओ हो म्हारां प्यारा गजानन्द…… ॥ २ ॥
ब्रह्मा पधारो देवा विष्णु पधारो देवा, संग में सरस्वती लावो ।
संग में लक्ष्मी मैया लावो ओ हो म्हारां प्यारा गजानन्द…….. ॥ ३ ॥
रामजी पधारो देवा लक्ष्मण जी पधारो संग में सीयासती लावो ।
संग में हनुमानजी लावो ओ हो म्हारां प्यारा गजानन्द………. ॥ ४ ॥
अगर चन्दन से करूँ आरती मोदक भोग लगावो ।
लडुवन भोग लगावो. ओ हो म्हारां प्यारा गजानन्द…………॥५॥
तानसेन तुमरो यश गावे, चरणों में शीश नवाओ ।
भगतां री आश पुरावो, ओ हो म्हारां प्यारा गजानन्द…… ।।
गजानन्दजी के भजन lyrics
( 8 )
घूमतड़ा घर आवो विनायक ॥ टेक ॥
रणत भँवर से आप पधारो, रिद्धि सिद्धि ने संग ल्यावो विनायक ॥ १ ॥
चन्दन चौकी बैठन देस्याँ, मोतियन चौक पुरावां विनायक ॥ २ ॥
कर असनान सिंहासन बैठो देवा,
केशर तिलक लगावां विनायक ॥३।।
धूप दीप नैवेद्य आरती, मोदक भोग लगावां विनायक ॥ ४ ॥
” तानसेन” थारों यश गावे बेड़ा पार लगावो विनायक ॥ ५ ॥
( 9 )
दोहा – जय गणेश आनन्द करण विघ्न विनाशक हार ।
रिद्धि सिद्धि दीज्यो प्रभु लाभ होय व्यापार ॥
म्हाने बुद्धि दीज्यो महाराज, गजानन्द गौरी के नन्दा ।
गौरी के नन्दा हो गजानन्द, गौरी के नन्दा ॥ म्हाने० ॥
पिता तुम्हारा है शिवशंकर, मस्तक पर चन्दा ।
माता तुम्हारी पारवती है, ध्यावै सब बंदा।। म्हाने० ॥
मूषक वाहन दूँद दूँदाला, फरस हाथ लेन्दा ।
गल बैजन्तीमाल बिराजे, चढ़े पुष्प गेन्दा ॥ म्हाने० ॥
जो नर तुमको नहीं मनावे, उसका भाग्य मंदा ।
जो नर थारी करे ध्यावना चले रिजक धंधा ॥ म्हाने० ॥
विघ्न- निवारण,मंगल-कारण, विद्या वर देन्दा ।
कहता ‘कालूराम’ भज्यां से, कटे पाप फन्दा ॥ म्हाने० ॥
म्हारा प्यारा गजानंद आईजो, रिद्धि सिद्धि ने सागे लाई जो जी ।। म्हारा प्यारा…….
थाने सबसे पहला मनावा, लड्डूवन को भोग लगावा,
थे मुसे चढ़कर आई जो जी ।। म्हारा प्यारा …….
मां पार्वती का प्यारा, शिव शंकर लाल दुलारा,
थे बांध बागड़ी आइजो जी।। म्हारा प्यारा………
थे रिद्धि सिद्धि का दाता री, थाने ध्यावे दुनिया सारी,
मारा अटक्या काम बनाई जो जी ।। म्हारा प्यारा………
थारो भक्त मंडल जश गावे, थारे चरणा शीश नवावे,
मारी नैया पार लगाई जो जी।। म्हारा प्यारा………
मेरा विघ्न हरो महाराज मनाबू आज।
गजानंद प्यारा गिरिजा के लाल दुलारा।।
पहले मैं तुझे मनाता फिर ध्याऊँ शारदा माता।
मेरे कंठ पर आए विराजो होय हंस असवार ।। गिरिजा
थारे सोहे मुकुट हजारी, और रिद्धि सिद्धि आज्ञाकारी।
थे सब देवन सरताज करो मेरा निस्तारा ।। गिरिजा
थारे सोहे दूध दूदाला और गल वैजयंती माला।
थारे एकदंत और सूंड, सोहे भुज चार ।। गिरिजा
सब सेवक तुझे मनावे, और भक्त सब शीश नवावे ।
मेरी नैया पड़ी मझधार करो भवपारा ।।
गिरिजा के लाल दुलारा
दोहा – सदा भवानी दाहिने सनमुख देव गणेश ।
चार देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश ॥
रूनक झुनक पग नेवर बाजे गजानन्द नाचे ।
गजानन्द नाचे भवन में गणपति जी नाचे ……. ।। टेर।।
मूषक वाहन सुण्ड- सुण्डाला एक दन्त साजे ।
गल पुष्पों की माला बिराजे कोटि काम ल्याजे …….॥१॥
पिता तुम्हारा हैं शिवशंकर नन्देश्वर साजे ।
माता तुम्हारी हैं श्री गिरजा सिंह चढ़ी गाजे….॥२॥
बिघन निवारण मंगल कारण राजन पति राजे ।
तुलसिदास गणपति जो सुमरे दुःख दरिद्र भाजे ॥ ३ ॥
गजानन्दजी के भजन lyrics
11
सूंड सूंडाला दूँद दूँदाला, मस्तक मोटा कान,।
गणपति देव बड़ा बलवान ॥ टेक ॥
जो गणपति को प्रथम मनाता, उसका सारा दुख मिट जाता ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति पाता, भव से बेड़ा पार उतरता ।
मेरी नैया पार करो मैं तेरा लगाऊँ ध्यान ॥ १ ॥
पारवती के पुत्र हो प्यारे, सारे जग के तुम रखवारे ।
भोलेनाथ हैं पिता तुम्हारे, सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारे ।
मेरा सारा दुख मिट जावे, देवो यही वरदान ॥ २ ॥
रिद्धि सिद्धि तेरे संग में सोहे, मूस सवारी मन को मोहे ।
तेरी दया जिस पर हो जावे, उसका दुख सुख में मिल जावे ।
माला जपूँ मैं तेरी गणपति करूँ तेरा गुणगान ॥ ३ ॥
अन्न धन में प्रभु बरकत तुम हो, विद्या में तुम बड़े निपुण हो ।
प्रथम सभी में तुम्ही बने हो, नाम गजानन्द पाहि गये हो ।
दूर करो प्रभु कष्ट हमारे, देव दया के निधान ॥ ४ ॥
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