ऐसा जन रामजी ने भावे भजन lyrics
ऐसा जन रामजी ने भावे भजन lyrics
( सन्त श्री सुन्दर दास जी की वाणी )
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ऐसा जन रामजी ने भावे ।
कनक कामणी परे हरे, नहीं आप बन्धावे ॥ टेर ॥
के तो मुनि मुख होय रहिया, कै हरि गुण गावे ।
भर्म कथा संसार री सब, दूर बहावे ॥ 1 ॥
सबसे रहे र्निवैरता, कोउ न दुःखावे रे ।
शितल वाणी बोलकर, रस अमृत पावे रे ॥ 2 ॥
पाँचो इन्द्रिय मारकर, मन माय मिलावे रे ।
काम क्रोध, मद लोभ री, खोज गमावे रे ॥ 3 ॥
चौथे पद छिन्न कर, माय समावे रे ।
सुन्दर ऐसे सन्त को, काल नहीं आवे रे ॥ 4 ॥
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