Hindu

सोलह शुक्रवार व्रत कथा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

सोलह शुक्रवार व्रत कथा

‘‘सोलह शुक्रवार के व्रत करना’’
वाणी सँख्या 6:-
पति शराबी घर पर नित ही, करत बहुत लड़ईयाँ।
पत्नी षोडष शुक्र व्रत करत है, देहि नित तुड़ईयाँ।।6।।

शब्दार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने तत्वज्ञानहीन उपासकों की अंध श्रद्धा भक्ति पर प्रकाश डाला है। कहा है कि बिना विवेक किए जो साधना करते हैं, वह व्यर्थ है।

उदाहरण:- एक लड़की का पति शराब पीता था। अन्य नशा भी करता था। कोई काम-धंधा नहीं करता था। जमीन को वह लड़की ही संभालती थी। शराब पीने से मना करने पर वह शराबी अपनी पत्नी को मारता-पीटता था। घर नरक बना था। उस लड़की के माता-पिता, भाई-भाभी सबने मुझ दास (लेखक) से दीक्षा ले रखी थी। ज्ञान भी ठीक से समझा था। वे अपनी लड़की की दुर्दशा से चिंतित थे। एक दिन वे अपनी लड़की को समझाकर दीक्षा दिलाने आश्रम में मेरे पास लाए। सोलह शुक्रवार व्रत कथा
लड़की को बताया गया कि कोई आन-उपासना मूर्ति पूजा, व्रत रखना आदि-आदि नहीं करनी हैं। लड़की ने कहा कि मैंने सोलह शुक्रवार के व्रत करने की प्रतिज्ञा कर रखी है कि घर में शांति हो जाए। अभी तो मैंने आधे ही किए हैं, ये पूरे करके फिर दीक्षा लूँगी।
उस बेटी को अच्छी तरह समझाया, तब उस शास्त्र विरूद्ध साधना को त्यागने को तैयार हुई और दीक्षा लेकर सुखी हुई। पति ने भी शराब त्याग दी। पूरा परिवार दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार साधना कर रहा है। सोलह शुक्रवार व्रत कथा
विचार:- अंध श्रद्धा भक्ति करने वालों को इतना भी विवेक नहीं कि जो साधना कर रहे हो, इससे लाभ है या हानि। उस बेटी से पूछा कि ‘‘सोलह शुक्रवार के व्रतों से ज्ञानहीन गुरूओं ने क्या लाभ बताया है?’’उस लड़की ने बताया कि एक स्त्री का पति रोजगार के लिए दूर देश में चला गया। वह वर्षों तक नहीं आया। उस स्त्री को चिंता सताने लगी। एक दिन उसको देवी संतोषी माता दिखाई दी और बोली कि मेरे सोलह शुक्रवार के व्रत लगातार कर दे। तेरा पति घर आ जाएगा। ऐसा ही हुआ। विचार करो बेटी! आपका पति तो तेरे पास ही रहता है। प्रतिदिन लड़ाई करता है। आपकी देही तोड़ता है यानि मार-पीट करता है। आप भी इस व्रत को किसलिए कर रही हो? आपने तो ऐसा व्रत करना चाहिए था कि वह कई दिन घर ना आए और मार ना पड़े। आप तो अपनी आफत लाने का व्रत कर रही थी। सोलह शुक्रवार व्रत कथा
व्रत रखना गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में मना किया है। कहा है कि जो बिल्कुल अन्न नहीं खाते यानि व्रत करते हैं, उनका योग यानि भक्ति कर्म कभी सफल नहीं होता। उसने बताया कि मेरी सहेली एक गुरू के पास जाती है। उसने मुझे बताया था। मैं भी व्रत करने लगी। मुझे तो आज पता चला कि मैं तो व्यर्थ भक्ति कर रही थी।
सूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि:-

गुरूवाँ गाम बिगाड़े संतो, गुरूवाँ गाम बिगाड़े।
ऐसे कर्म जीव कै ला दिए, बहुर झड़ैं नहीं झाड़े।।

शब्दार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने समझाया है कि तत्वज्ञानहीन गुरूओं ने गाँव के गाँव को शास्त्रविरूद्ध साधना पर लगाकर उनका जीवन नाश कर रखा है।
भोली जनता को शास्त्र विरूद्ध साधना पर इतना दृढ़ कर दिया है कि वे शास्त्रों में प्रमाण देखकर भी उस व्यर्थ पूजा को त्यागना नहीं चाहते। सोलह शुक्रवार व्रत कथा

वाणी सँख्या 7:-

तज पाखण्ड सत नाम लौ लावै, सोई भव सागर से तरियाँ।
कह कबीर मिले गुरू पूरा, स्यों परिवार उधरियाँ।।7।।

शब्दार्थ:- परमात्मा कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त तथा अन्य शास्त्रविरूद्ध पाखण्ड पूजा को त्यागकर पूर्ण सतगुरु से सच्चे नाम का जाप प्राप्त करके श्रद्धा से भक्ति करके भक्तजन पार हो जाते हैं। उनके परिवार के सर्व सदस्य भी भक्ति करके कल्याण को प्राप्त हो जाते हैं। सोलह शुक्रवार व्रत कथा

‘‘गीता में व्रत के विषय में’’
प्रश्न:- क्या एकादशी, कृष्ण अष्टमी या अन्य व्रत भी शास्त्रों में वर्जित हैं?
उत्तर:- गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में बताया है कि बिल्कुल न खाने वाले यानि व्रत रखने वाले का योग यानि परमात्मा से मिलने का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
गीता अध्याय 6 श्लोक 16:- हे अर्जुन यह योग (यानि परमात्मा प्राप्ति के लिए की गई साधाना) न तो बहुत खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का तथा न बहुत शयन करने वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है। इसलिए व्रत रखना शास्त्रविरूद्ध होने से व्यर्थ सिद्ध हुआ। सोलह शुक्रवार व्रत कथा

महाराज पृथु की कथा

होली क्यो मनाते हैं

शिवरात्री व्रत कथा

नरसी मेहता || नरसी मेहता की कथा

राजा भरत की कथा

bhaktigyans

My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page