मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
मालिक ने भजो रे गिंवारा मत भूलो रे बारम्बारा भजन लिरिक्स
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॥ दोहा ॥
गुरु सेवा जन बंदगी, अर सत्संग वैराग।
ये चारो जब ही मिले, पूरण हो ये भाग।
॥ भजन ॥
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा।
ज्यू जन्म्या ज्यू मर जासी ,
रे मालिक का लेखा भरणा।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा।
बाजीगर डंक बजाया जी ,
सब खलक तमाशा आया।
बाजीगर कला तो समेटी ,
जद उड़ गई सकल कमेटी।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा। टेर। ….
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
पार उतरना थाने चाहिजे ,
नावड़िया सु मिलणो।
नावड़ियो नाव चलावे जी ,
थने अमरलोक ले जावे।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा। टेर। ….
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
दर्शन करणा थाने चाहिजे ,
दर्पण माजतो रेहिजे।
दर्पण में तो वेला रे झाई ,
दर्शन होवे नाई।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा। टेर। ….
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
मुक्ति रा फल थने हिजे ,
वेलडिया थू सींचे।
वेलडिया सु वे रे काई ,
जनम मरण सब जाई।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा। टेर। ….
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
कबीर सा निज वाणी ,
संत वाणी पहचाणी।
बड़ो रा नहीं परखिजे ,
आणि मूरख रो काही कीजे।
सायब ने भजो रे गिंवारा ,
मत भूलो रे बारम्बारा। टेर। ….
मालिक ने भजो गिंवारा लिरिक्स
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