मन रे ऐसा सतगुरू भावे lyrics
मन रे ऐसा सतगुरू भावे lyrics
( श्री सन्त रज्जव जी की त्राणी )
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मन रे ऐसा सतगुरू भावे ।
आठों पहर रहवे मतवाला, भर-भर प्याला पावे ॥ टेर ॥
नरक जावण रा नाका बून्दें, उलझया ने सुलझावे।
जगत पुनी तारण तिरण को, भाग हमारे आवे ॥ 1 ॥
मन रे ऐसा सतगुरू भावे lyrics
मन को मार करे मरजीवा, दील का दाग मिटावे ।
पाँच पच्चीस परेले राखे, अन्दर ध्यान लगावे ॥ 2 ॥
हरि बिना वे ह्रदय नहीं राखे, गुण गोविन्द रा गावे ।
जड़ी संजीवनी है उर अन्दर, मृतक जीव जगावे ॥ 3 ॥
मन रे ऐसा सतगुरू भावे lyrics
प्रेम पुरूष के अरस परस है, परदा खोल मिलावे।
गुरू दादू के चरण कमल पर, रज्जब बलि बलि जावे ॥ 4 ॥
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