Hindu

परमात्मा के साथ धोखा । एक हास्य प्रसंग कहानी

परमात्मा के साथ धोखा 

एक हास्य प्रसंग सहित कबीर जी कहते हैं कि:-

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

अहरण की चोरी करें, करें सूई का दान।
स्वर्ग जान की आस में, कह आया नहीं विमान।।

शब्दार्थ:- परमात्मा कबीर जी ने कंजूस व्यक्ति की नीयत बताई है कि दो नंबर का कार्य करके यानि चोरी-रिश्वत लेकर, हेराफेरी करके मिलावट करके धन तो करोड़ों का प्राप्त करता है और दान सवा रूपया करता है। जैसे चोरी तो अहरण जितने लोहे की करता है (अहरण लुहार कारीगरों के पास होता है जिसका कुल लोहा 30,40 किलोग्राम भार का होता है) और दान करता है केवल सूई जितना लोहे की कीमत का। उसी धर्म-कर्म को मूर्ख इतना अधिक मानता है कि परमात्मा मेरे को स्वर्ग में ले जाने के लिए विमान भेजेगा। जब मनोकामना पूर्ण नहीं होती है तो वह कंजूस विचार करता है कि परमात्मा ने विमान भेजने में देरी क्यों कर रखी है?
परमेश्वर कबीर जी ने ऐसे धर्म के कार्यों पर कहा है कि:-  परमात्मा के साथ धोखा 

कबीर, जिन हर जैसा सुमरिया, ताको तैसा लाभ।
ओसां प्यास ना भागही, जब तक धसै नहीं आब।।

शब्दार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि जो साधक जैसी भक्ति तथा दान-धर्म करता है, उसी के अनुसार लाभ देता है। पूर्ण लाभ के लिए धर्म-कर्म भी पूर्ण करने से पर्याप्त लाभ मिलता है। जैसे घास पर गिरी औस के पानी को चाटने से प्यास नहीं बुझती। प्यास बुझाने के लिए गिलास भरकर पानी पीना पड़ता है। इसी प्रकार परमात्मा से पूर्ण लाभ लेने के लिए दान-धर्म भी पर्याप्त मात्र में करना चाहिए।

उदाहरण:- एक कंजूस व्यक्ति की दूध वाली भैंस गुम हो गई। उसे खोजने के लिए पिता-पुत्र चल पड़े। रास्ते में सर्वप्रथम हनुमान जी का मंदिर आया। पिता जी ने मूर्ति के सामने संकल्प किया कि हे बजरंग बली! आपने तो सात समन्दर के पार सीता माता की खोज कर दी थी। आपके लिए हमारी भैंस की खोज करना कौन-सा कठिन कार्य है? यदि मेरी भैंस मिल गई तो अंजना के लाल! एक थन का दूध जब तक भैंस दूध देती रहेगी, आपको चढ़ाया करूंगा। कृपा ध्यान देना, शीघ्र करना। यह संकल्प पुत्र भी सुन रहा था। परमात्मा के साथ धोखा 

आगे गए तो रास्ते में शिव जी का मंदिर था। वहाँ उसने कहा कि भैंस मिल गई तो एक थन का दूध शिव जी को चढ़ाने का वायदा किया। आगे गए तो रास्ते में श्री कृष्ण जी का मंदिर था। एक थन का दूध उसके लिए बोल दिया।
आगे गए तो रास्ते में गणेश जी का मंदिर था। एक थन का दूध उसी तरह चढ़ाने का संकल्प करके पिता-पुत्र आगे चले तो पुत्र ने पिता से कहा कि पिता जी! जब तक भैंस दूध देवेगी, तब तक चारों थनों (स्तनों) का दूध यानि भैंस का सारा दूध तो देवता पीऐंगे। फिर हम भैंस की खोज किसके लिए करें? चलो वापिस चलते हैं। हेराफेरी मास्टर कंजूस पिता बोला, बेटा! एक बार भैंस मिलने दे। इन देवताओं का जी जानेगा, जैसा इनको दूध पिलाऊँगा। बेटा बोला, पिता जी! मैं समझा नहीं। पिता बोला कि भैंस मिलने के बाद दो गिलास दूध और उसमें दो गिलास पानी मिलाकर एक दिन एक-एक गिलास चारों देवताओं को चढ़ाकर कह दूँगा, देवता जी! आपका धन्यवाद। आपने भैंस मिला दी, परंतु मैं भी बाल-बच्चेदार हूँ। मेरे से आपकी पूजा में इतना ही दूध पुग्या है यानि मेरी वित्तीय स्थिति इतना ही दूध चढ़ाने की है। आगे नहीं चढ़ा पाऊँगा। माफ करना। आप सबको दूध पिलाने वाले हो। आपको दूध की क्या आवश्यकता है? भैंस मिल गई, यही पूजा की गई। परमात्मा के साथ धोखा 

परमेश्वर कबीर जी बताना चाहते हैं कि तत्वज्ञान न होने के कारण भक्त की नीयत साफ नहीं हो सकती। जिस कारण से वह संसारिक क्षेत्र में तो हेराफेरी करता ही है। परमात्मा को भी नहीं छोड़ता। यह अंध भक्ति है जो शास्त्र के विरूद्ध है जिसमें कोई लाभ होने वाला नहीं है। जिससे जीव की मानसिकता का विकास नहीं हो सकता। परमात्मा के साथ धोखा 

महाराज पृथु की कथा

होली क्यो मनाते हैं

शिवरात्री व्रत कथानरसी मेहता || नरसी मेहता की कथा

राजा भरत की कथा

bhaktigyans

My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page